चंडीगढ़ में इमीग्रेशन कंपनियों की आड़ में की ठगी, कई मामलों में केस दर्ज, दो लोगो के साथ 11लाख 60 हजार की ठगी
बिना DC की अनुमति चल रही दर्जनों फर्जी कंपनियां, विदेश भेजने के नाम पर हो रही ठगी
रमेश गोयत
चंडीगढ़,11 अप्रैल। चंडीगढ़ में विदेश भेजने का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये ठगने के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। कई फर्जी इमीग्रेशन कंपनियां सेक्टर-17 जैसे प्रमुख क्षेत्रों में बिना ज़िला उपायुक्त की अनुमति के चल रही हैं और भोले-भाले लोगों को विदेश वीजा, स्टडी परमिट और जॉब ऑफर के नाम पर ठगा जा रहा है। बीते कुछ दिनों में पुलिस ने दो अलग-अलग मामलों में गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की हैं और मामले की जांच शुरू कर दी है।
संगरूर के युवक से 3.60 लाख की ठगी
पहला मामला संगरूर निवासी निर्मल सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया है। उन्होंने पुलिस को बताया कि सेक्टर-17ए स्थित एससीओ नंबर 64-65 की चौथी मंजिल पर संचालित एक इमीग्रेशन कंपनी के कंवलप्रीत सिंह, गुरजोत सिंह, पलकिन सहगल और अन्य लोगों ने वीजा दिलवाने के नाम पर उनसे करीब 3.60 लाख रुपये की ठगी की।
इस शिकायत पर सेक्टर-17 थाना पुलिस ने आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर नंबर 42 दर्ज की है। मामले में धारा 318(4), 61(2) भारतीय न्याय संहिता और 24 इमीग्रेशन एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने न केवल पैसे लिए बल्कि वीजा संबंधित कोई वैध दस्तावेज या प्रक्रिया भी पूरी नहीं की।
मानसा के दो युवकों से 8 लाख की ठगी
दूसरा मामला निक्की बागम और गनी मोहम्मद की ओर से दर्ज कराया गया है, जो पंजाब के जिला मानसा के गांव दलेल सिंहवाला से हैं। उन्होंने बताया कि सेक्टर-17 स्थित एससीओ नंबर 69 पर कार्यरत मनप्रीत सिंह बरार, रविंदर सिंह और अन्य ने उन्हें कनाडा का वीजा दिलाने का झांसा देकर 8 लाख रुपये ले लिए और बाद में कोई संपर्क नहीं किया।
इस शिकायत के आधार पर सेक्टर-17 थाने में एफआईआर नंबर 43 दर्ज की गई है। आरोपियों पर धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), और 120 (साज़िश) भारतीय दंड संहिता के तहत केस दर्ज किया गया है।
बिना अनुमति चल रहीं कई कंपनियां
खास बात यह है कि इन कंपनियों ने चंडीगढ़ प्रशासन या जिला उपायुक्त कार्यालय से कोई वैध परमिशन नहीं ली थी, बावजूद इसके ये खुलेआम इमीग्रेशन सेवाओं की पेशकश कर रही थीं। सूत्रों का कहना है कि प्रशासन के पास दर्जनों ऐसी इमीग्रेशन कंपनियों की लिस्ट है जो बिना अनुमति के चल रही हैं।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी उठ रहे सवाल
लगातार सामने आ रहे ठगी के मामलों के बाद अब प्रशासनिक निगरानी और पुलिस की सतर्कता पर भी सवाल उठने लगे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ज़िला उपायुक्त कार्यालय को समय-समय पर इन कंपनियों का ऑडिट और सत्यापन करना चाहिए और बिना परमिशन चल रही इकाइयों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी इमीग्रेशन कंपनी से डील करने से पहले उसकी वैधता की जांच करें। यदि कोई भी संदेहास्पद गतिविधि नजर आती है तो तुरंत नजदीकी थाने में सूचना दें।
मामलों की जांच जारी है और पुलिस का कहना है कि दोषियों को जल्द गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
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