पीएमएफबीवाई के तहत बीमा दावों के भुगतान पर संसद में सांसद दीपेंद्र के सवाल से 2023-24 में 90% की भारी गिरावट का खुलासा
• वर्ष 2022-23 में हरियाणा के किसानों को ₹2,496.89 करोड़ का भुगतान किया गया, लेकिन 2023-24 में केवल ₹224.43 करोड़ ही प्राप्त हुए- दीपेंद्र हुड्डा
• देशभर के किसानों के बीमा दावों का भुगतान 2022-23 में ₹18,211.73 करोड़ से घटकर 2023-24 में ₹15,504.87 करोड़ रह गया है – दीपेंद्र हुड्डा
• प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की गाढ़ी कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरियां भर रही है- दीपेंद्र हुड्डा
• फसल नुकसान का आकलन करने वाली कमेटी में किसानों का प्रतिनिधित्व नहीं, सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर कर रही मनमानी- दीपेंद्र हुड्डा
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 13 फरवरी। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत हरियाणा के किसानों के लिए कृषि बीमा दावों के भुगतान में 90% की भारी गिरावट पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बीमा दावों के निपटान में भारी गिरावट किसानों के लिए गंभीर वित्तीय संकट पैदा कर सकती है और योजना में उनका भरोसा भी कमजोर करती है।
दीपेंद्र ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों की गाढ़ी कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरने की योजना बन गई है।
4 फरवरी 2025 को लोकसभा में सांसद दीपेंद्र हुड्डा द्वारा पूछे गए प्रश्न संख्या 431 के जवाब में सरकार द्वारा जारी आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि वर्ष 2022-23 में जहां प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत ₹2,496.89 करोड़ का भुगतान किया गया, वहीं 2023-24 में यह घटकर मात्र ₹224.43 करोड़ रह गया, जो कि 90% से भी अधिक की भारी गिरावट है।
संसद में सरकार की ओर से कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, देशभर में किसानों को किए जाने वाले दावों का भुगतान 2022-23 में ₹18,211.73 करोड़ से घटकर 2023-24 में ₹15,504.87 करोड़ रह गया है।
उन्होंने कहा, "कई राज्यों में यह गिरावट बेहद चिंताजनक है। हरियाणा के अलावा, राजस्थान: ₹4,141.98 करोड़ (2022-23) घटकर ₹2,066.02 करोड़ (2023-24) रह गया; ओडिशा: ₹568.01 करोड़ (2022-23) घटकर ₹209.03 करोड़ (2023-24) रह गया; मध्य प्रदेश: ₹1,027.48 करोड़ (2022-23) घटकर ₹565.28 करोड़ (2023-24) रह गया।"
दीपेंद्र ने कहा कि फसल नुकसान का आकलन करने वाली समिति में किसानों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। उन्होंने कहा, "सरकार और बीमा कंपनियां मिलकर दावा निपटान में मनमानी कर रही हैं, जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।" उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियां हरियाणा के किसानों से प्रीमियम तो काट लेती हैं, लेकिन जब मुआवजा देने की बात आती है तो किसानों को दर-दर भटकना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भरोसा उठ रहा है। उन्होंने कहा, "बीमा दावों के लंबित रहने के पीछे राज्य सरकारों से अनुदान में देरी, फसल उत्पादन के आंकड़ों में विसंगतियां और अन्य प्रक्रियागत बाधाएं हैं, जिन्हें तुरंत हल करने की जरूरत है ताकि प्रभावित किसानों को समय पर उनका हक मिल सके।"
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