चंडीगढ़ की पहचान संकट में? हेरिटेज स्टेटस और भविष्य: आर.के. गर्ग
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 11 मार्च 2025: चंडीगढ़ के जाने-माने समाजसेवी आर.के. गर्ग ने शहर के मौजूदा विकास और उसकी पहचान को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ आज अपनी पहचान का मोहताज हो गया है, जबकि इसे बने 70 साल से ज्यादा हो चुके हैं और केंद्र शासित प्रदेश (UT) बने हुए लगभग 60 साल हो गए हैं।
गर्ग ने कहा कि 2008 में हेरिटेज पर चर्चा शुरू हुई थी, जिसके बाद चंडीगढ़ की कई ऐतिहासिक इमारतों को हेरिटेज घोषित किया गया। लेकिन हेरिटेज को लेकर जो उम्मीदें थीं, वे पूरी नहीं हो सकीं। कुछ इमारतें जर्जर हो गईं, कई विकास कार्य हेरिटेज के नाम पर रुक गए, तो कुछ इसी नाम से आगे बढ़े।
हेरिटेज स्टेटस पर सवाल
गर्ग ने खुलासा किया कि संयुक्त राष्ट्र (UNO) ने सिर्फ कैपिटल कॉम्प्लेक्स को हेरिटेज का दर्जा दिया, लेकिन भारत सरकार ने इसे हेरिटेज घोषित नहीं किया। इसके बावजूद, बीते 15-17 सालों में 'हेरिटेज' शब्द बहुत अहम हो गया, और कोर्ट के कई फैसलों में भी इसका बड़ा असर देखने को मिला।
चंडीगढ़ का भविष्य और उसकी दिशा
गर्ग ने शहर के भविष्य को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ एक लैंडलॉक्ड सिटी है, जहां जमीन नहीं बढ़ सकती। यदि पंजाब या हरियाणा में कोई जगह मिलती है, तो विस्तार संभव हो सकता है, वरना केंद्र शासित प्रदेश रहने तक चंडीगढ़ की सीमाएं नहीं बढ़ेंगी।
शहर में बढ़ती जनसंख्या और सीमित संसाधनों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा,
"हम किस दिशा में जा रहे हैं? क्या हम चंडीगढ़ की ऐतिहासिक पहचान को बचा पाएंगे या इसे आम शहरों की तरह विकसित कर देंगे?"
चंडीगढ़ की पहचान बचाने की जरूरत
गर्ग ने कहा कि चंडीगढ़ का इतिहास भले पुराना न हो, लेकिन अब इसकी पहचान को सहेजने का समय आ गया है। उन्होंने शहर की हरी-भरी विरासत और पर्यावरण के प्रति गंभीरता बरतने की अपील की।
उन्होंने अंत में कहा,
"हमें चंडीगढ़ को एक नई दिशा देनी होगी। यह शहर अपनी खास पहचान के लिए जाना जाता है, और इसे बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। वरना दुनिया के कई शहरों की तरह, यहां भी विकास की दौड़ में हरियाली और पर्यावरण की बलि चढ़ जाएगी।"
अब सवाल ये है कि क्या सरकार और प्रशासन चंडीगढ़ की मूल पहचान को बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाएंगे, या इसे आम शहरों की तरह अनियंत्रित विकास की भेंट चढ़ने दिया जाएगा?
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