चेक गणराज्य के साथ जल व अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में काम करेगा पीएचडीसीसीआई
पीएचडी हाउस पहुंचा चेक गणराज्य प्रतिनिधिमंडल
भारत में चेक गणराज्य की राजदूत बोली हरित प्रौद्योगिकी निवेश से दोनों देशों के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचे
चंडीगढ़। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने चंडीगढ़ के पीएचडी हाउस में जल एवं अपशिष्ट प्रबंधन पर केंद्रित चेक गणराज्य के प्रतिनिधिमंडल के साथ संवादात्मक सत्र का आयोजन किया। सत्र के संचालक संजीव सिंह सेठी ने सत्र के उद्देश्य पर जोर दिया कि पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए नई साझेदारियों और सतत समाधानों की पहचान की जाए।
अपने स्वागत भाषण में पीएचडीसीसीआई प्रबंध समिति सदस्य आर.एस सचदेवा ने भारत और चेक गणराज्य के बीच दीर्घकालिक आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को स्वीकार किया, जो हाल के वर्षों में काफी बढ़ गए हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि प्रधान राज्य होने के नाते पंजाब को पानी की कमी, प्रदूषण और अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे अभिनव और टिकाऊ समाधान अपनाना अनिवार्य हो गया है।
चेक गणराज्य के मानद वाणिज्यदूत मेजर गुनीत चौधरी ने चेक प्रतिनिधिमंडल का परिचय कराया। चेक गणराज्य के पर्यावरण मंत्रालय के पर्यावरण संरक्षण महानिदेशक डेविड सूरी ने देश के निवेशक-अनुकूल वातावरण पर प्रकाश डाला जो व्यापार वृद्धि और सहयोग को बढ़ावा देता है। भारत में चेक गणराज्य की राजदूत श्रीमती एलिस्का जिगोवा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मुक्त व्यापार समझौतों, डिजिटल परिवर्तन पहलों और हरित प्रौद्योगिकी निवेशों के कारण भारत-चेक संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं। चेक गणराज्य के पर्यावरण मंत्रालय की प्रतिनिधि पावला होस्नेदलोवा और मार्टिना फ़ोयटलोवा ने चेक गणराज्य की पर्यावरण पहलों पर जानकारी प्रस्तुत की।
भारत की अपशिष्ट प्रबंधन चुनौतियों को संबोधित करते हुए अल्फा कंसल्टेंट्स,सलाहकार और मध्यस्थ, इंजीनियर-इन-चीफ (सेवानिवृत्त) डॉ. मनमोहन सिंह ने नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन पर वैश्विक परिप्रेक्ष्य प्रदान किया, जिसमें कहा गया कि दुनिया में प्रतिवर्ष 2.01 बिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसके 2050 तक 3.40 बिलियन टन तक बढऩे का अनुमान है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में प्रतिदिन 1.5 लाख टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें से 80 प्रतिशत खुले में फेंक दिया जाता है। इस अवसर पर चेक गणराज्य की तरफ से मिशल मालत,डेविड लुकाक,रॉबर्ट कोरिनेक और जय किरण सुगुनार सहित चेक उद्योग प्रतिनिधियों ने अपशिष्ट प्रबंधन, जल संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता में अपनी उन्नत तकनीकों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा किया।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष प्रो.(डॉ.)आदर्श पाल विग ने उपयोग करो और फेंको संस्कृति से शून्य-अपशिष्ट समाज की ओर स्थानांतरित होने की आवश्यकता पर बल दिया।
इको पर्यावरण समूह के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप गर्ग ने अपशिष्ट जल प्रबंधन में चुनौतियों को रेखांकित किया, जैसे कि कम क्षमता वाले सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी), औद्योगिक अपशिष्ट प्रदूषण और खराब उपचारित जल गुणवत्ता।
ड्रोस मैनेजमेंट सिस्टम्स एंड एनर्जी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ अभिनव शर्मा ने ड्रॉस मैजिक मशीन सहित अभिनव अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों की शुरुआत की, जो अपशिष्ट को उर्वरकों, ठोस ईंधन छर्रों और अन्य अनुप्रयोगों के लिए स्वच्छ, पर्यावरण के अनुकूल उप-उत्पादों में परिवर्तित करती है। पीएचडीसीसीआई के पंजाब राज्य चैप्टर के अध्यक्ष करण गिलहोत्रा ने महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पीएचडीसीसीआई की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब में बढ़ते औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों के साथ जल संरक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन के लिए अभिनव और टिकाऊ समाधानों की आवश्यकता है। सुश्री भारती सूद, क्षेत्रीय निदेशक, पीएचडीसीसीआई ने सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए सत्र का समापन किया।
kk
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →