सरकार ने देश में 1.42 करोड़ वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाएं बनाने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है - केंद्रीय मंत्री राज भूषण चौधरी
केंद्र सरकार की मिशन अमृत सरोवर योजना के जरिए 75 अमृत सरोवरों का किया जाएगा निर्माण और जीर्णोद्धार - केंद्र द्वारा जारी आंकड़े
पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के तहत कंडी नहर, पटियाला फीडर के साथ-साथ कोटला शाखा परियोजनाएं पूरी की गईं; 1.15 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ी
राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने संसद में उठाया भूजल उपयोग और संरक्षण का मुद्दा
नई दिल्ली-भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा कृषि में सिंचाई की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत सरकार कृषि के लिए सिंचाई आपूर्ति, जल उपलब्धता के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। केंद्रीय सरकार के मास्टर प्लान में वर्षा जल संचयन और कृत्रिम पुनर्भरण के लिए 1.42 करोड़ संरचनाओं के निर्माण के माध्यम से मानसून जल (185 बिलियन क्यूबिक मीटर) का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, केंद्रीय भूजल बोर्ड ने देश में लगभग 25 लाख वर्ग किलोमीटर के संपूर्ण मानचित्रण योग्य क्षेत्र में राष्ट्रीय जल मानचित्रण परियोजना को भी पूरा कर लिया है और केंद्र सरकार के मिशन अमृत सरोवर के तहत प्रत्येक ग्रामीण जिले (दिल्ली, चंडीगढ़ और लक्षद्वीप को छोड़कर) में 75 अमृत सरोवर का निर्माण और जीर्णोद्धार किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने संसद के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा सदस्य सतनाम सिंह संधू द्वारा देश में जल संरक्षण के लिए मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में उठाए गए प्रश्न के उत्तर में साझा की।
जल शक्ति राज्य मंत्री ने अपने उत्तर में आंकडे साझा करते हुए कहा कि पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के अंतर्गत पंजाब में कंडी नहर विस्तार परियोजना (चरणII) तथा प्रथम पटियाला फीडर एवं कोटला शाखा परियोजना का पुनर्वास नामक दो परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिनसे नहरों के माध्यम से 1.15 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ी है। इसके अलावा पंजाब में शाहपुर कंडी बांध परियोजना, राजस्थान फीडर की रीलाइनिंग तथा सरहिंद फीडर की रीलाइनिंग नामक तीन अन्य परियोजनाएं चल रही हैं। जिसमें 1.43 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बहाल की गई है। पीएमकेएसवाई-एआईबीपी के अंतर्गत उत्तर प्रदेश की चार परियोजनाओं में से मध्य गंगा नहर (चरण-II) पश्चिमी उत्तर प्रदेश को लाभान्वित कर रही है। उत्तर प्रदेश में इस परियोजना में नहरों के माध्यम से 1.10 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ गई है।
संसद सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने कृषि के लिए सिंचाई आपूर्ति, उपलब्ध जल के सुधार, कुशल उपयोग तथा भूजल पर बोझ को कम करने के लिए सतही जल संसाधनों जैसे नहरों, टैंकों आदि के पुनर्वास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए उठाए जा रहे कदमों का ब्यौरा माँगा था। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नहर के नीचे की कमान बढ़ाने के लिए सतही जल आपूर्ति बढ़ाने के बारे में सरकार की भविष्य की योजना के बारे में भी जानकारी मांगी थी।
जल शक्ति राज्य मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) की जानकारी दी है, जिसमें त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और हर खेत को पानी (एचकेकेपी) दो प्रमुख घटक शामिल हैं, जो जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित है। एचकेकेपी में कमांड एरिया डेवलपमेंट और जल प्रबंधन (सीएडीऔरडब्ल्यूएम), सतही लघु सिंचाई (एसएमआई), जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और बहाली (आरआरआर),और भूजल (जीडब्ल्यू) विकास शामिल है। 2016 में, संशोधित AIBP प्रारूप की शुरूआत के साथ, HKKP के CAD और WM उप-अनुभागों को AIBP के समानांतर काम करने के लिए लाया गया है। इसके अतिरिक्त, दिसंबर 2021 में, भारत सरकार ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी।
जल शक्ति मंत्री ने आगे सवालों के जवाब देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अलावा भारत सरकार द्वारा भूजल को बचाने, जल संसाधनों को संरक्षित करने, सिंचाई के लिए पानी का उपयोग करने आदि के लिए कई महत्वपूर्ण पहल की गई हैं। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत) और अमृत 2.0 जैसे राष्ट्रीय मिशनों को लागू करके शहरी क्षेत्रों में स्थायी जल प्रबंधन के लिए कई पहल की हैं।"
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने भूजल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार द्वारा की गई इन महत्वपूर्ण पहलों की सराहना करते हुए कहा, "समय के साथ-साथ प्राकृतिक और पारंपरिक जल स्रोत या तो कम हो गए हैं या उनका पानी प्रदूषित हो गया है। इस खतरे को देखते हुए और इसका समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने कई सराहनीय पहल की गई हैं।"उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा वर्षा जल के उपयोग से न केवल भूजल पर दबाव कम होगा, बल्कि इससे हम प्रकृति का ही लाभ उठाकर प्राकृतिक संकट से पार पा सकेंगे। मिशन अमृत सरोवर के माध्यम से 75 अमृत सरोवरों का निर्माण या पुन:स्थापना से जल संरक्षण सुनिश्चित होगा और लोगों को स्वच्छ जल की उपलब्धता बढ़ेगी। "अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम जल संरक्षण और नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए मिलकर काम करें।"
kk
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