चंडीगढ़ नोटकांड: पूर्व जस्टिस निर्मल यादव बरी
चंडीगढ़ में सीबीआई कोर्ट की स्पेशल फैसला सुनाया
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 29 मार्च। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस निर्मल यादव को 15 लाख के नोटकांड में बरी कर दिया गया। शनिवार शाम 4 बजे के बाद चंडीगढ़ में सीबीआई कोर्ट की स्पेशल जज अलका मलिक ने यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने निर्मल यादव समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस मामले को लेकर कोर्ट में 300 से ज्यादा सुनवाई हुईं और 76 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। हालांकि, 10 गवाह अपने बयान से पलट गए।
इस केस में पूर्व जस्टिस निर्मल यादव के साथ दिल्ली के होटल कारोबारी रविंदर सिंह भसीन, प्रॉपर्टी डीलर राजीव गुप्ता और निर्मल सिंह आरोपी थे। इस मामले के मुख्य आरोपी संजीव बंसल का दिसंबर 2016 में मोहाली के मैक्स अस्पताल में निधन हो गया था। जिसके बाद जनवरी 2017 में उनके खिलाफ चल रहे केस को समाप्त कर दिया गया।
कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जस्टिस निर्मल यादव के वकील विशाल गर्ग नरवाना ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। उन्होंने कहा कि यह मामला कई सालों से चल रहा था और अंततः अदालत ने न्यायपूर्ण निर्णय सुनाया।
गलत पते पर पहुंची थी रिश्वत की रकम
यह मामला 13 अगस्त 2008 का है, जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की जस्टिस निर्मलजीत कौर के घर गलती से 15 लाख रुपए की रकम पहुंच गई थी। सीबीआई के अनुसार, यह रकम जस्टिस निर्मल यादव के लिए भेजी गई थी।
जस्टिस निर्मलजीत कौर के चपरासी अमरीक सिंह ने इस घटना की शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि संजीव बंसल के मुंशी प्रकाश राम एक प्लास्टिक बैग में यह रकम लेकर पहुंचे थे और कहा था कि दिल्ली से कुछ पेपर्स आए हैं, जिन्हें डिलीवर करना है। जब बैग खोला गया तो उसमें 15 लाख रुपए थे।
मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच चंडीगढ़ सीबीआई को सौंपी गई थी, जिसके बाद आरोप तय किए गए। हालांकि, अब सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।
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