गुरुद्वारा कमेटी के चुनाव नहीं हुए तो सिख मुख्यमंत्री आवास का करेंगे घेराव-हरियाणा सिख एकता दल शिखर सम्मेलन की चेतावनी
करनाल सिख सम्मेलन में ज्ञानी हरप्रीत सिंह की मौजूदगी में हुए बड़े ऐलान
13 नवंबर को जिला कार्यालयों पर मांग पत्र देने और 13 दिसंबर को घेराव की चेतावनी
बाबूशाही ब्यूरो
करनाल, 09 सितंबर 2024:
हरियाणा के सिखों ने ऐलान किया है कि अगर सरकार ने सिख समुदाय की मांगें नहीं मानी तो वे 13 दिसंबर को मुख्यमंत्री आवास की ओर मार्च करेंगे और उनका घेराव करेंगे। इससे पहले वे 13 तारीख को परदेश के जिला स्तरों पर मांग पत्र देंगे. ये घोषणाएं अजाज करनाल में सिख एकता की ओर से आयोजित सिख सम्मेलन में की गईं। अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार और तख्त श्री दमदमा साहिब के वर्तमान जत्थेदार सिंह साहिब ज्ञानी हरप्रीत सिंह की उपस्थिति में ये प्रस्ताव पारित किए गए कि सिख गुरुधामों में सरकार का प्रवेश बंद किया जाए और हरियाणा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आम चुनाव कराए जाएं।

सिख समाज की माँगे न माने जाने पर 13 दिसंबर को हरियाणा प्रदेश के सिख मुख्यमंत्री निवास का घेराव करेंगे। इसके लिए हज़ारों की तादाद में सिख समाज गुरुद्वारा नाडा साहेब में एकत्र होंगे व वहाँ से मुख्य मंत्री निवास की और मार्च करेंगे। यह ऐलान आज करनाल में आयोजित हरियाणा सिख सम्मेलन में हरियाणा सिख एकता दल की और से जगदीप सिंह औलख ने किया। साथ ही सिरसा में 14 सिखों के ख़िलाफ़ देश द्रोह के मुक़दमे दर्ज करने का विरोध करते हुए हरियाणा सिख एकता दल ने सिरसा की संगत की काल पर पूरे प्रदेश की और संघर्ष करने का आश्वासन दिया। यह भी घोषणा की गई कि यह सम्मेलन हर वर्ष होगा व अगला हरियाणा सिख सम्मेलन सिरसा में आयोजित किया जाएगा।

इस से पूर्व हरियाणा सिख एकता दल के विजन पत्र को जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह व मंच पर मौजूद संत समाज द्वारा जारी किया गया। हरियाणा सिख एकता दल की और से प्रीतपाल सिंह पन्नु ने मनोरथ पत्र की जानकारी दी और हरियाणा के सिखों को धड़े बंदी, पार्टी बाज़ी, जात पात से ऊपर उठकर एक करने को हरियाणा सिख एकता दल का मुख्य उद्देश्य बताया। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बे अदबी के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून बनाने, बंदी सिखों की रिहाई, हरियाणा की गुरुद्वारा कमेटी के तुरंत चुनाव करवाने सहित सिखों की राजनीतिक हिस्सेदारी व अन्य मुद्दों का ज़िक्र किया।
हरियाणा के कोने कोने से आज के सम्मेलन में उमड़ी भारी भीड़ ने यह साफ़ इशारा कर दिया कि अब हरियाणा का सिख किसी बाहरी लीडर के बहकावे में नहीं आएगा और अपनी हस्ती को ख़ुद ही मज़बूत कर अपने हक़ों की आवाज़ बुलंद करेगा। इस सम्मेलन का असर प्रदेश के मौजूदा चुनावों पर भी पड़ना तय है क्योंकि सिखों द्वारा उठाई गई माँगों को तवज्जो न देने वाली पार्टियों को सिख समाज की नाराज़गी का सामना मौजूदा चुनाव में झेलना पड़ेगा। हरियाणा सिख सम्मेलन में अलग अलग ज़िलों से आये पंथक नेताओं ने भी अपने विचार रखे जिनमे गुरतेज सिंह ख़ालसा, अंबाला से अमरजीत सिंह मोहड़ी, अमृत सिंह बुग्गा, गज्जन सिंह कैथल, सुखविंदर सिंह जब्बर, सरब जीत सिंह बत्रा यमुनानगर, सुखदीप सिंह कुरुक्षेत्र, एडवोकेट गुरतेज़ सिंह सेखों कुरुक्षेत्र, लक्खविंदर सिंह व गुरमेज़ सिंह सिरसा, रवींद्र सिंह फतेहाबाद, जसकंवर सिंह फतेहाबाद, कुलवंत सिंह हिसार, बीबी भूपिंदर कौर फतेहाबाद, पाल सिंह जीद प्रमुख रहे। समागम में कथा कीर्तन के साथ साथ भाई गुरप्रीत सिंह लांद्रा के ढाडी जत्थे ने सिख इतिहास की वारें सुनाकर संगत को निहाल किया। संत महापुरुषों की और से गुरु के लंगर, चाय पकौड़े व जलेबियों का लंगर भी लगाया गया।
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