घग्गर नदी के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार ने आवंटित किए 57.11 करोड़, सतलुज और ब्यास नदियों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए 483 करोड़ रुपए जारी
राज्यसभा सांसद सतनाम संधू ने संसद में उठाया घग्गर और पंजाब की अन्य नदियों के पुनरुद्धार का मुद्दा
राज्यसभा सांसद सतनाम संधू ने की पंजाब में नदियों के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार की प्रशंसा
जल शक्ति राज्य मंत्री ने संसद में दी पंजाब में नदियों के पुनरुद्धार और प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी
रमेश गोयत
चंडीगढ़/नई दिल्ली, 11 दिसम्बर। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के तहत पंजाब में घग्गर नदी के संरक्षण के लिए प्रदूषण निवारण योजनाओं के तहत 57.11 करोड़ रुपये जबकि सतलुज और ब्यास नदियों के संरक्षण के लिए 483.53 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस की जानकारी संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जल शक्ति राज्य मंत्री ने अपने बयान में दी।
जल शक्ति मंत्री ने लिखित उत्तर में बताया कि इन नदियों के लिए एनआरसीपी के तहत 648 एमएलडी की सीवेज उपचार क्षमता भी बनाई गई है। इन योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय हिस्से के रूप में 32.61 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई और 15 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की अतिरिक्त सीवेज उपचार क्षमता बनाई गई।
अपने संसदीय प्रश्न में, राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने पंजाब की नदियों के पुनरुद्धार का विषय उठाया। उन्होंने घग्गर नदी के संरक्षण, पुनरुद्धार और शुद्ध करने के लिए सरकार के प्रयासों, नदी को साफ़ करने लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान को दिए गए अनुदान और पंजाब की सभी नदियों के पुनरुद्धार के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों तथा सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी मांगी।
जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण चौधरी ने एक लिखित उत्तर में कहा, “पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा घग्गर नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आने वाले शहरों से अपशिष्ट जल के उपचार के लिए किए जा रहे कार्यों के संबंध में केंद्र सरकार के साथ साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, कुल 291.7 एमएलडी क्षमता वाले 28 एसटीपी स्थापित किए गए हैं तथा 97 एमएलडी के 15 एसटीपी कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। एनआरसीपी के तहत पंजाब में घग्गर नदी के संरक्षण के लिए प्रदूषण निवारण योजनाओं को मंजूरी दी गई, जिसकी कुल लागत 57.11 करोड़ रुपये थी। इन योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र के हिस्से के रूप में 32.61 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई और 15 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) सीवेज उपचार क्षमता स्थापित की गई।"
लिखित उत्तर में, जल शक्ति मंत्री ने कहा कि एनआरसीपी ने इन नदियों के लिए 648 एमएलडी सीवेज उपचार क्षमता स्थापित की है। इन योजनाओं के केंद्रीय कार्यान्वयन के हिस्से के रूप में, 32.61 करोड़ रुपये जारी किए गए और 15 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की नई सीवेज उपचार क्षमता का निर्माण किया गया।
पंजाब में अन्य नदियों के पुनरुद्धार के बारे में जानकारी साझा करते हुए मंत्री ने कहा, “पंजाब में सतलुज और ब्यास नदियों के संरक्षण के लिए, केंद्र सरकार के हिस्से के रूप में 483.53 करोड़ रुपये जारी किए गए और एनआरसीपी के तहत 648 एमएलडी की सीवेज उपचार क्षमता बनाई गई। बुड्डा नाला के निर्वहन के कारण सतलुज नदी के प्रदूषण की चिंताओं को दूर करने के लिए, पंजाब सरकार ने बुड्डा नाला पुनरुद्धार परियोजना शुरू की है, जिसमें 225 एमएलडी और 60 एमएलडी क्षमता के एसटीपी की स्थापना, चार एसटीपी का पुनर्वास, लुधियाना में डेयरी परिसरों से अपशिष्ट जल के उपचार के लिए 3.75 एमएलडी और 2.25 एमएलडी क्षमता के दो अपशिष्ट उपचार संयंत्र शामिल हैं। इसके अलावा, लुधियाना में छोटे और मध्यम स्तर के रंगाई उद्योगों के समूहों से औद्योगिक निर्वहन को रोकने और नियंत्रित करने के लिए, 40 एमएलडी, 50 एमएलडी और 15 एमएलडी क्षमता के सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र चालू किए गए हैं।"
राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने कहा, “पंजाब सदियों से नदियों का प्रदेश रहा है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में ये नदियां प्रदूषित हो गई हैं। पंजाब के जल निकायों में ज़हरीले अपशिष्टों की भारी मौजूदगी के कारण बढ़ते प्रदूषण स्तर के परिनामस्वरूप न केवल कैंसर, त्वचा रोग, गैस्ट्रोएंटेराइटिस, अपच और आंखों की रोशनी में कमी जैसी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं, बल्कि पानी सिंचाई के लिए भी अनुपयुक्त (ज़हरीला) हो गया है। यह नहीं जलीय जीवन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इसके अलावा, राज्य के कई हिस्सों में खेती योग्य भूमि बंजर हो गई है।"
सतनाम सिंह संधू ने आगे कहा, “पंजाब की नदियों के पुनरुद्धार और संरक्षण के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम वास्तव में सराहनीय हैं। उन्होंने देश की नदियों के पुनरुद्धार और संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता का की सराहना करते हुए कहा है कि स्वतंत्र भारत के 75 साल के इतिहास में पहली बार सरकार ने 2019 में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय को मिलाकर जल शक्ति मंत्रालय के नाम से एक अलग मंत्रालय बनाया है जिसके तहत पिछले कुछ सालों में देश की अन्य नदियों के साथ-साथ पवित्र नदी गंगा की सफाई और पुनरुद्धार एक राष्ट्रीय मिशन बन गया है। उन्होंने कहा न केवल सामाजिक रूप से बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी हम सभी को नदियों की रक्षा, विशेष रूप से उद्योगों को हमारे जल निकायों के संरक्षण के लिए सरकार के इन प्रयासों में सहयोग देना चाहिए ताकि नदियों में हो रहे प्रदूषण के खतरे को पूरी तरह सेसमाप्त किया जा सके।”
सांसद सतनाम सिंह संधू ने कहा, "पंजाब और हरियाणा के लोगों के लिए घग्गर नदी का अत्यधिक महत्व है। घग्गर, सतलुज और ब्यास नदियों के लिए केंद्र सरकार की पुनरुद्धार परियोजनाएं न केवल बाढ़ की स्थिति को कम करने में सहायक होंगी, बल्कि क्षेत्र में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।"
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