वैश्विक गीता पाठ का साक्षी बना धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान 18 हजार बच्चों सहित विभिन्न देशों में हुआ गीता पाठ
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कार्यक्रम में की शिरकत
मुख्यमंत्री ने की घोषणा, कुरुक्षेत्र के थीम पार्क का नाम अब केशव पार्क होगा
गीता में अहंकार को त्यागने और आत्मज्ञान प्राप्त करने के संदेश को अपनाकर हम समाज में ला सकते हैं समरसता – मुख्यमंत्री
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 11 दिसंबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने आज घोषणा करते हुए कहा कि धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर स्थित थीम पार्क अब केशव पार्क के नाम से जाना जाएगा। इसका उद्देश्य भारत में महान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के स्थल कुरुक्षेत्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को और अधिक संरक्षित और बढ़ावा देना है। साथ ही, मुख्यमंत्री ने कुरुक्षेत्र में वैश्विक गीता पाठ में भाग लेने वाले स्कूली छात्रों के लिए गुरुवार को विशेष अवकाश की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान 18 हजार बच्चों के द्वारा वैश्विक गीता पाठ- अष्टादशी श्लोक कार्यक्रम में शिरकत की। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, तंजानिया की पर्यटन मंत्री पिंडी चाना, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज भी उपस्थित रहे। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने गीता स्थली ज्योतिसर में पवित्र ग्रंथ गीता की पूजा- अर्चना की और इसके उपरांत उन्होंने हवन-यज्ञ में पूर्ण आहुति भी डाली। मुख्यमंत्री ने ज्योतिसर अनुभव केंद्र व भगवान श्री कृष्ण के विराट स्वरूप का भी अवलोकन किया ।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी एवं गीता जयंती पर्व की शुभकामनाएं देते हुए भगवान से प्रार्थना की कि वे प्रदेशवासियों के जीवन को ज्ञान के आलोक से आलोकित करें। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन 5162 वर्ष पहले भगवान श्री कृष्ण जी के मुख से श्रीमद् भगवद् गीता का उद्घोष हुआ था। आज 18 हजार विद्यार्थियों द्वारा अष्टादशी श्लोकों से आकाश गुंजायमान हुआ है। यह गर्व की बात है कि आज अनेक देशों में गीता का पाठ किया गया है। उन्होंने कहा कि इस गीता पाठ के न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक अर्थ भी हैं। जिन 18 छंदों का पाठ आज किया गया है, वह अपने आप में एक प्रार्थना है, गीत है, और शांति का आह्वान है।
प्रधानमंत्री के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने एक नए युग की तरफ बढ़ाया कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गीता को पूरी मानव जाति के लिए उपयोगी मानते हैं। उन्होंने कहा है कि 'गीता के माध्यम से भारत ने देश और काल की सीमाओं से बाहर पूरी मानवता की सेवा की है। प्रधानमंत्री के कुशल और दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने एक नए युग की तरफ कदम बढ़ाया है। उनकी नीतियों से गरीब, मजदूर, किसान, युवा और महिलाओं सहित हर वर्ग को विकास की गारंटी मिली है। प्रधानमंत्री भारतीय संस्कृति का परचम पूरी दुनिया में फहरा रहे हैं। उन्होंने अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बनवाकर पूरे राष्ट्र का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ही गीता जयंती पर्व को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने लगा है।
जीवन में हर व्यक्ति को हर हालात में अपने कर्तव्यों का करना चाहिए पालन
नायब सिंह सैनी ने कहा कि गीता का हर श्लोक हमें एक नया दृष्टिकोण और जीवन जीने की नई प्रेरणा देता है। श्रीमद् भगवद् गीता केवल अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण जी के संवाद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे हर प्रश्न का समाधान करती है। गीता का पहला और सबसे महत्वपूर्ण संदेश है जीवन में हर व्यक्ति को धर्म और कर्तव्य का पालन करना चाहिए। समाज में यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य निष्ठा और समर्पण के साथ निभाएं, तो समाज में अनुशासन और संतुलन बना रहेगा। यह संदेश हमें सिखाता है कि स्वार्थों को छोड़कर हमें समाज व देश के प्रति जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
गीता में अहंकार को त्यागने और आत्मज्ञान प्राप्त करने के संदेश को अपनाकर हम समाज में ला सकते हैं समरसता
मुख्यमंत्री ने कहा कि गीता हमें बताती है कि एक सच्चे नेता को अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर समाज और धर्म के लिए कार्य करना चाहिए। यह संदेश आज के नेताओं और प्रबंधकों के लिए भी प्रेरणादायक है। यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य निभाए और धर्म के मार्ग पर चले, तो समाज में नैतिकता और न्याय का साम्राज्य होगा। गीता में अहंकार को त्यागने और आत्मज्ञान प्राप्त करने के संदेश को अपनाकर हम एक दूसरे के साथ बेहतर संबंध स्थापित कर सकते हैं और समाज में समरसता ला सकते हैं।
गीता सारी दुनिया में सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ, इससे मानवमात्र को जीवन जीने की पद्धति मिली - श्याम सिंह राणा
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि गीता सारी दुनिया में सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है, इससे मानवमात्र को जीवन जीने की पद्धति मिली है। आज गीता सारे विश्व के अंदर प्रसिद्ध है। ये कर्म का संदेश देती है। व्यक्ति को अपने जीवन में कोई कामयाबी हासिल करनी है तो उसे गीता में दिए गए कर्म के संदेश को आत्मसात करना होगा। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि वे प्रतिदिन गीता का पाठ अवश्य करें, इससे न केवल उनकी एकाग्रता बढ़ेगी बल्कि किसी भी प्रकार की विकट स्थिति से बाहर निकलने में पारंगत होंगे। उन्होंने कहा कि गीता शिक्षा और दीक्षा का ग्रंथ है। कर्म की शिक्षा है तो कर्तव्य के रूप में दीक्षा भी है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, यह संस्कृति का उत्सव, विरासत और जीवन का मूल सिद्धांत है- तंजानिया पर्यटन मंत्री पिंडी चाना
इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के सहयोगी देश तंजानिया की पर्यटन मंत्री पिंडी चाना ने कहा कि कुरुक्षेत्र एक पवित्र स्थान है जहाँ वेदों और पुराणों की रचना हुई। पौराणिक कथाओं में इस भूमि को सर्वश्रेष्ठ तीर्थों में माना गया है। महाभारत में कुरुक्षेत्र को तीनों लोकों में सबसे विशेष तीर्थ कहा गया है। यह वही पावन स्थल है जहां हजारों वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का दिव्य ज्ञान दिया था। यह भूमि धर्म की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, यह संस्कृति का उत्सव, विरासत और जीवन का मूल सिद्धांत है। गीता का संदेश हमें सिखाता है कि मानव जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य सत्य में निहित है। धर्म और मानवता की सेवा में गीता जीवन के हर पहलू में मुख्य मार्गदर्शक है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने इस महोत्सव का आयोजन करके एक सराहनीय काम किया है। इस गीता महोत्सव जैसे आयोजनों के माध्यम से हरियाणा सरकार ने प्राचीन विरासत को पुनर्जीवित करने का कार्य किया है। इन प्रयासों ने न केवल भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया है बल्कि हरियाणा राज्य को आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख स्थान भी दिलाया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने तीर्थों के संरक्षण के लिए कई दूरदर्शी प्रयास किए हैं। कुरुक्षेत्र भारत के इतिहास और संस्कृति का एक अनूठा केंद्र है। इस पवित्र भूमि में 48 कोस तक फैले तीर्थस्थल महाभारत और वैदिक कथाओं से जुड़े हैं। ये स्थल न केवल आस्था के प्रतीक हैं बल्कि सांस्कृतिक विरासत का भी अमूल्य हिस्सा हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के मंदिर और तीर्थ दुनियाभर में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह गीता महोत्सव हमें इस बात पर विचार करने का अवसर देता है कि हम गीता के संदेश को अन्य धार्मिक संदर्भों में युवाओं तक कैसे पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का मूल संदेश वसुधैव-कुटुम्बकम है। यही संस्कृति की सबसे बड़ी ताकत है और इस भावना को बढ़ावा देना हम सभी का कर्तव्य है।
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