हरियाणा में नगर निकाय के अध्यक्ष पदों को भरने बारे कानूनी प्रावधान में सामान्य वर्ग का उल्लेख संवैधानिक नहीं
एडवोकेट ने प्रदेश सरकार और निर्वाचन आयोग को लिखकर उठाया मामला
देश में कोई भी सार्वजनिक पद सामान्य वर्ग हेतु आरक्षित नहीं हो सकता बल्कि ऐसा पद ओपन/अनारक्षित होता है जिस पर जनरल केटेगरी के साथ-साथ आरक्षित वर्ग का व्यक्ति भी लड़ सकता है चुनाव - हेमंत
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 11 दिसम्बर।- हरियाणा संभवत: देश का इकलौता राज्य होगा जहाँ की शहरी स्थानीय निकाय संस्थाओं अर्थात नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों के मेयर अथवा अध्यक्ष /प्रधान पद को भरने के लिए बनाए गये कानूनी प्रावधान में जनरल केटेगरी अर्थात सामान्य वर्ग के व्यक्तियों (उम्मीदवारों) का स्पष्ट उल्लेख कर एक प्रकार से निर्धारित पदों को उनके लिए आरक्षित करने को कानूनी मान्यता प्रदान की गई है जोकि भारतीय संविधान की मूल भावना के विरूद्ध है.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार ने बताया कि इसी माह 3 दिसम्बर को हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) कानून, 2024 और हरियाणा नगर निगम (संशोधन) कानून, 2024, जिन्हें गत माह नव-गठित 15वीं हरियाणा विधानसभा के प्रथम सत्र में सदन द्वारा पारित किया गया था, को राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय की स्वीकृति प्राप्त हो गई जिसके बाद उक्त दोनों संशोधन कानूनों की गजट नोटिफिकेशन 6 दिसम्बर को प्रकाशित कर दी गई. हालांकि उपरोक्त दोनों संशोधन कानून 16 अगस्त 2024 से प्रभावी माने जायेंगे क्योंकि उसी दिन इन दोनों को राज्यपाल द्वारा अध्यादेश के तौर पर प्रख्यापित (जारी) किया गया था.
बहरहाल, उक्त दोनों संशोधन कानूनों के लागू होने से हरियाणा में आगामी कुछ सप्ताह में तीनो प्रकार के नगर निकायों में अर्थात - नगरपालिका समितियों (म्युनिसिपल कमेटी), नगरपालिका परिषद (म्युनिसिपल कौंसिल ) और नगर निगमों (म्युनिसिपल कारपोरेशन) के निर्धारित आम चुनाव में न केवल नगर निकाय के वार्डों बल्कि नगरपालिका/नगर परिषद अध्यक्ष (प्रधान) एवं नगर निगम मेयर के पदों में पिछड़ा वर्ग (ब्लाक ए) और पिछड़ा वर्ग (ब्लाक बी ) के व्यक्तियों के लिए भी आरक्षण करने का प्रावधान किया गया है.
एडवोकेट हेमंत ने बताया कि हालांकि वर्ष 2022 से पहले भी नगर निकायों के पदों में पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण का प्रावधान था परन्तु उस वर्ष सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद प्रदेश सरकार को राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग गठित कर उसके द्वारा प्रदेश की स्थानीय संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की आवश्यकता और उसके अनुपात बारे सौंपी गयी रिपोर्ट के आधार पर सर्वप्रथम पिछड़ा वर्ग (ब्लाक ए) के लिए और अब ताज़ा तौर पर पिछड़ा वर्ग (ब्लाक बी ) के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है. सनद रहे कि जून, 2022 में प्रदेश की 28 नगरपालिका समितियों और 18 नगर परिषदों के आम चुनाव बिना पिछड़ा वर्ग का आरक्षण किये राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा कराये गये थे.
बहरहाल, ताज़ा लागू हरियाणा नगरपालिका (संशोधन) कानून, 2024 द्वारा हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की धारा 10(5) को और हरियाणा नगर निगम (संशोधन) कानून, 2024 द्वारा
हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 11(5) को बदलकर प्रावधान किया गया है कि नगर पालिका / नगर परिषद के अध्यक्ष और नगर निगम मेयर के पद सामान्य वर्ग (जनरल केटेगरी), अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग (ब्लाक ए) और पिछड़ा वर्ग (ब्लाक बी ) और महिलाओं में से रोटेशन एवं लॉट्स (ड्रा ) से निर्धारण कर भरे जायेंगे.
इसी बीच हेमंत ने आगे बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 टी के खंड चार और छ: के अनुसार हर राज्य विधानसभा द्वारा अपने प्रदेश की म्युनिसिपेलिटीस (नगर निकायों ) के चेयरपर्सन पदों पर अनुसूचित जाति (एस.सी.), अनुसूचित जनजाति (एस.टी.), पिछड़े वर्ग (बीसी) और महिलाओ के आरक्षण से संबधित कानूनी प्रावधान किया जा सकता है. चूँकि उक्त अनुच्छेद में जनरल कैटेगरी हेतु आरक्षण का उल्लेख ही नहीं है इसलिए हरियाणा नगरपालिका कानून, 1973 की धारा 10 (5 ) और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 11 (5 ) में सम्बंधित नगर निकायों के अध्यक्ष/मेयर पदों को भरने हेतु सामान्य वर्ग का उल्लेख पूर्णतः असंवैधानिक है और इसे तत्काल कानून में पुनः संशोधन करवा कर हटा देना चाहिए. गौरतलब है कि हमारे देश में कोई भी सार्वजनिक पद सामान्य वर्ग हेतु आरक्षित नहीं हो सकता बल्कि ऐसा पद ओपन / अनारक्षित होता है जिस पर न केवल सामान्य वर्ग का बल्कि किसी भी आरक्षित वर्ग का योग्य व्यक्ति भी चुनाव लड़ सकता है.
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