चंडीगढ़ बिजली निजीकरण मामले में भारी भ्रष्टाचार होने की आंशका : सुभाष लांबा
प्रशासन सीएजी से आडिट कर परिसंपत्तियों का मूल्यांकन कराएं तो जनता के सामने होगी सच्चाई
जनता की परिसमपत्तियों को कौड़ियों के भाव में बेचना आत्मनिर्भर भारत अभियान नहीं
13 दिसंबर को मनाया जाएगा निजीकरण विरोधी दिवस, देशभर में होंगे प्रदर्शन
रमेश गोयत
चंडीगढ़,12 दिसंबर। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर (एनसीसीओईईई) इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) ने चंडीगढ़ विधुत विभाग व उप्र डिस्कॉम को कौड़ियों के भाव में निजी हाथों में सौंपने के मामले में करोड़ों के भ्रष्टाचार होने की आंशका व्यक्त की है। इसके खिलाफ नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर के आह्वान पर 13 दिसंबर को राष्ट्रीय स्तर पर निजीकरण विरोधी दिवस मनाया जाएगा। जिसके तहत देशभर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। ईईएफआई के राष्ट्रीय महासचिव प्रशांत नंदी चौधरी, उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, सुरेश राठी व सेकेट्री सुदीप दत्ता ने बृहस्पतिवार को यहां जारी संयुक्त बयान में बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन ने परिसंपत्तियों के बिना मूल्यांकन कराएं पूर्णतः धोखेधड़ी के साथ इस बहुमूल्य विभाग की परिस्थितियों को नीलामी के लिए बेस कीमत केवल 174.63 करोड़ रूपए तय की गई और इसी आधार पर एक प्राइवेट कंपनी को केवल मात्र 871 करोड़ रूपए में नीलाम कर दी। उन्होंने कहा कि बेशकीमती जमीनों का इस्तेमाल महज 1 रूपए प्रति महीने की दर पर करने की छूट दे दी गई है। अन्य सभी परिसंपत्तियों का मूल्यांकन एक रुपया प्रति मद की दर से किया गया है और इसका बहाना यह बनाया गया है कि परिसंपत्तियों की कीमत परिसंपत्ति रजिस्टर में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि ईईएफआई, बिजली कर्मचारियों एवं इंजीनियर की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसीओईईई) व यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ सीएजी ऑडिट के जरिए परिसंपत्तियों के स्वतंत्र मूल्यांकन करने के साथ-साथ रिक्वेस्ट फोर प्रोपोजल (आरएफपी) और टेंडर दस्तावेजों में अपनाए गए सभी वित्तीय आंकड़ों की जांच की मांग कर रहे थे। लेकिन यूटी चंडीगढ़ प्रशासन ने पहले ही एक निजी कंपनी - एमिनेंट इलेक्ट्रिसिटी लिमिटेड (ईईडीएल) को ,21 नवंबर को लेटर आफ इंटेंशन (एलओआई) जारी कर दिया, जिसे कि बिजली वितरण क्षेत्र में कोई पूर्व अनुभव नहीं है। कई अनुरोधों के बावजूद सीईए, सीईआरसी या जेईआरसी से कोई सलाह नहीं ली गई, जो कि विद्युत अधिनियम 2003 द्वारा निर्देशित एक आम प्रक्रिया का हिस्सा है। निजी कंपनियों की अत्यधिक मुनाफाखोरी के चलते बढ़ी हुई दरों से उपभोक्ता को बचाने के लिए कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की गई है।
उन्होंने बताया कि ईईडीएल कलकत्ता इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोऑपरेशन (सीईएससी) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है- सीईएससी की बिजली दरें देश में सबसे अधिक में से एक है। ध्यान रहे कि सीईएससी समूह ने चुनावी ट्रस्टों और बांड के माध्यम से भाजपा को करोड़ों रुपए चंदे में दिए।
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प्रति वर्ष सैकड़ों करोड़ का मुनाफा, फिर निजीकरण क्यों ?
ईईएफआई के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि उप्र सरकार पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम का निजीकरण घाटे का बहाना बनाकर कर रही है। लेकिन चंडीगढ़ विधुत विभाग प्रति वर्ष सैकड़ों करोड़ का मुनाफा कमा रहा है, फिर भी निजीकरण क्यों किया जा रहा है? उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2016-17 में 195.6 करोड़, 2017-18 में 265.69 करोड़, 2018-19 में 116.6 करोड़, 2019-20 में 365 करोड़, 2020-21 में 225 करोड़, 2021-22 में 261 करोड़ और वित्तीय वर्ष 2022-23 में 158 करोड़ रुपए मुनाफा कमाया है। उन्होंने बताया कि विभाग ने कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (ए.टी एंड सी) लॉस को 10 फीसदी से नीचे बनाए रखा है। यह एक अद्वितीय सरकारी विभाग द्वारा संचालित बिजली सेवा थी, जिसे 2003 के जबरन लागू किए गए विद्युत अधिनियम के बाद भी निगम में नही बदला गया था। इसे भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (कम लागत वाली जल विद्युत की उपलब्धता) से अनुकूल दीर्घकालिक ऊर्जा आपूर्ती के साथ-साथ केंद्र के उत्पादन स्टेशनों से आवंटन मिलता रहा। जिससे कम कीमत वाली बिजली की सप्लाई सुनिश्चित होती रही। चंडीगढ़ युटिलिटी का टैरिफ लगभग 4.50 रुपये प्रति यूनिट है, जो कि देश में सबसे कम में से एक है और जिस कंपनी को विभाग को सौंपा जा रहा उसका रेट करीब 9 रुपए प्रति यूनिट है।
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निजीकरण के खिलाफ चल रहा आंदोलन बना जन आंदोलन
यूटी पावर मैन यूनियन के महासचिव गोपाल दत्त जोशी व अध्यक्ष ध्यान सिंह ने कहा कि निजीकरण के खिलाफ चल रहा आंदोलन अब जन आंदोलन बन गया है। रोजाना विभिन्न सेक्टरों के नागरिक निजीकरण के खिलाफ सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रहे हैं और निजीकरण के फैसले को वापस करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से पुनः निजीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग की है।
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