यूटी पावर डिपार्टमेंट के कर्मचारी निजी कंपनी के मातहत काम नहीं करेंगे: सुभाष लांबा
हरियाणा, पंजाब, हिमाचल व जम्मू-कश्मीर के कर्मियों ने दी चेतावनी, जबरदस्ती की तो चारों राज्यों के कर्मचारी भी हड़ताल पर जाने को होंगे मजबूर: सुरेश राठी
25 दिसंबर चंडीगढ़ व 22 को लखनऊ में होगी महापंचायत, आम नागरिक, किसान, कर्मचारी, मजदूर होंगे शामिल: गोपाल दत्त जोशी
रमेश गोयत
चंडीगढ़,15 दिसंबर।
चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट के निजीकरण का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ द्वारा शुरू किए विरोध के बाद आम जनता भी सड़कों पर आकर विरोध प्रदर्शन कर रही है। शनिवार को कांग्रेस पार्टी ने भी चंडीगढ़ में प्रदर्शन एवं गिरफ्तारियां दी है। चंडीगढ़ प्रशासन ने पहली जनवरी,2025 को विधुत विभाग को कोलकाता की एक निजी कंपनी को हैंडओवर करने का फैसला किया है। चंडीगढ़ प्रशासन के रवैए और निजीकरण के खिलाफ आम जनता एवं कर्मचारियों के आंदोलन को लेकर रविवार को इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) की नोर्थ जोन की आनलाइन मीटिंग आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता ईईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं ऑल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के राज्य अध्यक्ष सुरेश राठी ने की। इस महत्वपूर्ण बैठक में इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया ( ईईएफआई) के कार्यकारी अध्यक्ष देवराय, जरनल सेकेट्री प्रशांत नंदी चौधरी, उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, सचिव हरियाणा से सुरेश राठी,हिमाचल से कामेश्वर सिंह, हीरा लाल वर्मा, पंजाब से रतन सिंह, कुलविंद्र सिंह ढिल्लों, रगविंदर सिंह, चंडीगढ़ से गोपाल दत्त जोशी, ध्यान सिंह,जम्मू-कश्मीर से अब्दुल नजार व इकबाल सिंह आदि उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के निर्देश पर यूटी प्रशासन ने चंडीगढ़ के बिजली विभाग को परिसंपत्तियों सहित कोलकाता के एक निजी कंपनी को पहली जनवरी से हैंडओवर करने का फैसला लिया है।
यह जानकारी देते हुए इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि इस महत्वपूर्ण बैठक में फैसला लिया कि अगर जनता एवं कर्मचारियों के तीखे विरोध के बावजूद प्रशासन ने पहली जनवरी से विभाग को निजी कंपनी को हैंडओवर किया तो यूटी चंडीगढ़ के बिजली कर्मचारी निजी कंपनी के मातहत काम कर नहीं करेंगे। क्योंकि चंडीगढ़ विधुत विभाग के कर्मचारी सरकारी विभाग में कार्यरत थे और उनके उपर केंद्र सरकार के सेवा नियम लागू होते हैं, इसलिए उसको किसी निजी कंपनी के मातहत काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। बैठक में शामिल
हरियाणा, पंजाब, हिमाचल व जम्मू-कश्मीर राज्यों के प्रतिनिधियों ने दो टूक चेतावनी दी कि अगर प्रशासन ने एक तरफा कार्यवाही करते हुए पहली जनवरी को जबरन विभाग को निजी हाथों में सौंपने का काम किया तो चारों राज्यों के बिजली कर्मचारी विरोध प्रदर्शनों से लेकर हड़ताल तक करने पर मजबूर हो सकतें हैं। जिसकी पूरी जिम्मेदारी यूटी प्रशासन की होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनका प्रयास रहेगा कि उनके राज्यों से कोई भी कर्मचारी चंडीगढ़ में ड्यूटी नहीं देगा। अगर मेनेजमेंट ने ज़ोर जबरदस्ती की तो कर्मचारी इसका माकूल जबाव देंगे। बैठक में उप्र सरकार द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल डिस्कॉम को निजी हाथों में सौंपने के फैसले की कड़ी भर्त्सना की गई। उप्र डिस्कॉम व चंडीगढ़ विधुत विभाग के निजीकरण के खिलाफ 19 दिसंबर को आयोजित विरोध प्रदर्शनों को सफल बनाने की रणनीति भी तैयार की गई। उन्होंने बताया कि बैठक में 22 दिसंबर को लखनऊ में होने वाली पंचायत का समर्थन किया गया और 25 दिसंबर को चंडीगढ़ में होने वाली आम जनता एवं कर्मचारियों की संयुक्त महापंचायत में शामिल होने का फैसला लिया गया।
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