हरियाणा वि.स. चुनाव लड़ रहे 2 मेयरों और एक जि.प चेयरपर्सन के एफिडेविट पर सवाल
हलफनामे में प्रतिमाह प्राप्त हो रहे मानदेय का नहीं किया गया उल्लेख - हेमंत
चंडीगढ़, 13 सितंबर, 2024 :
15वी हरियाणा विधानसभा आम चुनाव हेतु अगले माह 5 अक्टूबर को निर्धारित मतदान के लिए प्रदेश की सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा अम्बाला नगर निगम की मौजूदा मेयर शक्ति रानी शर्मा को पंचकूला जिले की कालका विधानसभा सीट से जबकि सोनीपत नगर निगम के वर्तमान मेयर निखिल मदान को सोनीपत (शहरी) विधानसभा सीट से पार्टी उम्मीदवार बनाया गया है।
इसी प्रकार रोहतक जिला परिषद की मौजूदा चेयरपर्सन मंजू को रोहतक जिले की गढ़ी-सांपला किलोई से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के विरूद्ध भाजपा प्रत्याशी के रूप में उतारा गया है। इन सभी ने बीते दिनों भाजपा प्रत्याशी के तौर पर अपना अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। आज 13 सितम्बर प्रदेश की सभी 90 विधानसभा सीटों पर भरे गए सभी नामांकन फॉर्म की जांच सम्बंधित वि.स. हलके के रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) द्वारा की जानी है।
बहरहाल, सभी उम्मीदवारों के नामांकन फार्म के साथ संलग्न एफिडेविट (हलफनामा) को हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) हरियाणा की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। गत रात पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और चुनावी मामलों के जानकार हेमंत कुमार ने जब उपरोक्त तीनो भाजपा प्रत्याशियों नामत: शक्ति रानी (मेयर, नगर निगम अम्बाला), निखिल मदान (मेयर, नगर निगम, सोनीपत) और मंजू (चेयरपर्सन, जिला परिषद् रोहतक) द्वारा उनके नामांकन के साथ सौंपे गए एफिडेविट का अवलोकन किया तो यह खुलासा हुआ कि उक्त तीनो ने अपने अपने हलफनामे में एंट्री 9 ए में जहाँ उम्मीदवार की आय के स्त्रोतों का विस्तृत वर्णन किया जाना चाहिए, उसमें उक्त तीनो प्रत्याशियों ने नगर निगम मेयर के तौर पर मिलने वाले मानदेय, जो प्रतिमाह 30 हज़ार रूपये होता है, और जिला परिषद् चेयरपर्सन के तौर पर प्राप्त होने मानदेय, जो प्रतिमाह 20 हज़ार रूपये होता है, के बारे में उल्लेख नहीं किया गया था।
बहरहाल, इसी के दृष्टिगत हेमंत ने आज 13 सितम्बर को भारतीय चुनाव आयोग, मुख्य चुनाव अधिकारी- सीईओ हरियाणा, पंचकूला, सोनीपत और रोहतक के डी.सी. कम जिला चुनाव अधिकारी एवं साथ साथ कालका वि.स. सीट के आर.ओ अर्थात एस.डी.एम. कालका, सोनीपत वि.स. सीट के आर.ओ. अर्थात एस.डी.एम. सोनीपत और गढ़ी-सांपला किलोई वि.स. सीट के आर.ओ. एस.डी.एम. सांपला को लिखकर इस बारे में उपयुक्त कार्रवाई करने की अपील की है।
हेमंत ने बताया कि प्रदेश विधानसभा का सदस्य अर्थात विधायक का चुनाव लड़ने के लिए अन्य योग्यताओ के साथ साथ हालांकि एक अयोग्यता यह भी होती है कि वह व्यक्ति केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर आसीन नहीं होना चाहिए जिस बारे में देश के संविधान के अनुच्छेद 191(1) में उल्लेख किया गया है हालांकि प्रदेश विधानसभा द्वारा अधिनियमित कानून मार्फ़त कई सरकारी पदों को लाभ के पद से होने वाली अयोग्यता से बाहर निकालकर उन पदों पर आसीन पदाधिकारियों को राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए योग्य घोषित किया जा सकता है।
हेमंत ने बताया कि हरियाणा विधानसभा द्वारा वर्ष 1974 में बनाया गया हरियाणा राज्य विधानमंडल ( अयोग्यता का निवारण) कानून, 1974 में लाभ के पद की श्रेणी से छूट दिए गए पदों में हालांकि नगर निगम मेयर एवं जिला परिषद के चेयरपर्सन के पद का स्पष्ट उल्लेख तो नहीं किया गया है परन्तु भारतीय चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2016 में जारी एक स्पष्टीकरण द्वारा
ऐसे पदों को प्रदेश सरकार के अधीन पद नहीं माना गया है क्योंकि इन पदों पर आसीन होने वाले पदाधिकारी को प्रदेश सरकार द्वारा मनोनीत या नामित नहीं किया जाता है बल्कि यह अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र से मतदाताओं द्वारा निर्वाचित होते हैं. इस प्रकार न तो अम्बाला नगर निगम की मौजूदा मेयर शक्ति रानी शर्मा, न सोनीपत नगर नगम के वर्तमान मेयर निखिल मदान और न ही रोहतक जिला परिषद की मौजूदा चेयरपर्सन मंजू को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अपने अपने पदों से त्यागपत्र देने की आवश्यकता नहीं है. हालांकि इन तीनों को अपने अपने नामांकन पत्र के साथ सै सौंपे गये चुनावी एफिडेविट में नगर निगम मेयर अथवा जिला परिषद् चेयरपर्सन के तौर पर प्रतिमाह प्राप्त होने वाले मानदेय का अपनी आय के स्त्रोतों में अवश्य उल्लेख करना बनता है।
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