नेताजी सुभाष चंद्र बोस का ऐतिहासिक भाषण: टिकरी बॉर्डर पर देश में दिया था आखिरी संबोधन
रमेश गोयत
दिल्ली/चंडीगढ़ 23 जनवरी: नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के संघर्ष और बलिदान की भावना को जीवंत रखते हुए 1944 को टिकरी बॉर्डर पर अपना आखिरी भाषण दिया था। इस ऐतिहासिक अवसर पर लगभग 20,000 लोग इकट्ठा हुए थे। यह भाषण आजादी के संघर्ष के इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है। हर साल 23 जनवरी को पूरा गांव नेताजी की जयंती मनाता है
दिल्ली का आजाद हिंद ग्राम नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी आज़ादी की लड़ाई के इतिहास को जीवित रखने का एक महत्वपूर्ण स्थल है। मुंडका के टीकरी कलां में स्थित यह स्मारक नेताजी के अंतिम भाषण का गवाह है, जो उन्होंने 1944 में दिया था। यह स्थल न केवल सुभाष चंद्र बोस के संघर्ष और योगदान को समर्पित है, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की अनेक महत्वपूर्ण घटनाओं और उनके आदर्शों को भी प्रदर्शित करता है। यहां पर उनकी संघर्ष यात्रा, विचारधारा और आज़ादी की दिशा में किए गए प्रयासों को चित्रित और लिखित रूप में संग्रहित किया गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता है।
आज़ाद हिंद ग्राम दिल्ली पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित एक पर्यटक परिसर है। यह दिल्ली-हरियाणा सीमा से 2 किलोमीटर की दूरी पर एनएच 10 पर टिकरी कलां में स्थित है। आज़ाद हिंद ग्राम का निर्माण स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में किया गया था।
भाषण का महत्व:आजाद हिंद ग्राम की स्थापना दिल्ली टूरिज्म ने की है और यह हरियाणा बॉर्डर के करीब टीकरी कलां में राष्ट्रीय राजमार्ग 10 (NH10) रोहतक रोड पर स्थित है।
नेताजी ने अपने संबोधन में जनता को देश की आजादी के लिए त्याग और समर्पण के महत्व को समझाया। उन्होंने कहा, "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।" यह संदेश स्वतंत्रता संग्राम में लोगों को प्रेरित करने वाला बना। टिकरी बॉर्डर पर दिए गए इस भाषण ने ग्रामीणों और क्रांतिकारियों को एक नई ऊर्जा दी और उन्हें देशभक्ति के लिए समर्पित कर दिया।
टिकरी गाँव का नाम बदलकर 'आजाद हिंद गाँव':
इस ऐतिहासिक घटना की याद में दिल्ली सरकार ने टिकरी गाँव का नाम बदलकर 'आजाद हिंद गाँव' रख दिया है। यह नामकरण नेताजी की विरासत को सहेजने और स्थानीय लोगों को उनकी गौरवशाली भूमिका के प्रति गर्व महसूस कराने का प्रयास है। गाँव में नेताजी की स्मृति में एक संग्रहालय और एक स्मारक स्थापित किया गया है, जहाँ उनके योगदान को प्रदर्शित किया गया है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया:
गाँव के बुजुर्गों ने बताया कि 1944 में जब नेताजी यहाँ आए थे, तो लोगों में उत्साह और ऊर्जा का संचार हो गया था। उनके शब्द आज भी गाँव वालों के लिए प्रेरणा हैं। "यहाँ नेताजी के कदमों की छाप है, और हमें गर्व है कि हमारा गाँव उनकी ऐतिहासिक यात्रा का हिस्सा बना," गाँव के एक निवासी ने कहा।
सरकार की योजनाएँ:
दिल्ली सरकार ने इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। यहाँ एक मेमोरियल पार्क, नेताजी पर केंद्रित शोध संस्थान और आजाद हिंद फौज के इतिहास से जुड़े संग्रहालय का निर्माण किया जा रहा है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के इस ऐतिहासिक भाषण को याद करते हुए टिकरी गाँव और उसके आसपास के क्षेत्र में हर साल 23 जनवरी को विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह पहल न केवल नेताजी की विरासत को सहेजने में मदद करेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनके बलिदान और योगदान से भी प्रेरित करेगी।
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