CHD समाज कल्याण विभाग पर क्रैच व आंगनवाड़ी कर्मचारियों के शोषण का आरोप, जबरन एंड्रॉयड फोन खरीदने का दबाव
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 24 जनवरी। फैडरेशन ऑफ यूटी एम्प्लाइज एंड वर्कर्स की बैठक में समाज कल्याण विभाग द्वारा क्रैच और आंगनवाड़ी कर्मचारियों पर जबरन एंड्रॉयड फोन खरीदने और ऐप डाउनलोड कर हाजिरी लगाने का दबाव डालने के मामले पर गंभीर चर्चा की गई। बैठक की अध्यक्षता फैडरेशन के प्रधान रघुवीर चंद ने की।
कर्मचारियों का आरोप:
बैठक में बताया गया कि विभाग ने 30-35 वर्षों से सेवाएं दे रहे क्रैच कर्मचारियों को पूर्व में मिलने वाली बेसिक वेतन, महंगाई भत्ता, डीसी रेट, ईपीएफ, ईएसआई और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाओं को बंद कर दिया है। अब उन्हें मात्र ₹4650 और ₹8500 का मानदेय दिया जा रहा है। इस पर भी कर्मचारियों पर एंड्रॉयड फोन खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है।
कर्मचारियों की परेशानियां:
कर्मचारियों का कहना है कि:
उनके पास आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण एंड्रॉयड फोन खरीदने का साधन नहीं है।
कुछ कर्मचारी अशिक्षित हैं और तकनीकी प्रक्रियाओं को समझने में असमर्थ हैं।
समय पर वेतन नहीं मिलने के कारण फोन रिचार्ज करवाना भी मुश्किल हो जाता है।
कर्मचारियों ने विभाग को इन समस्याओं पर विचार करने के लिए अपील की है, लेकिन विभाग उनकी बातों को अनसुना कर रहा है।
प्रशासन की तानाशाही पर विरोध:
बैठक में यह आरोप लगाया गया कि विभाग कर्मचारियों पर मानसिक दबाव डाल रहा है। हाजिरी नहीं लगाने वाले कर्मचारियों से लिखित जवाब मांगे जा रहे हैं। इसके अलावा, कर्मचारियों की आवाज दबाने के लिए प्रशासन द्वारा धारा 144 और अन्य प्रतिबंधात्मक कानूनों का सहारा लिया जा रहा है।
आंदोलन की चेतावनी:
कर्मचारियों ने मांग की है कि उन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह सभी सुविधाएं दी जाएं। साथ ही, बायोमेट्रिक मशीनें लगाई जाएं, ताकि फोन खरीदने की बाध्यता खत्म हो। यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो अगले सप्ताह क्रैच और आंगनवाड़ी कर्मचारी काले बिल्ले लगाकर रोष प्रदर्शन करेंगे। यह मुद्दा समाज कल्याण विभाग की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाता है और कर्मचारियों की स्थिति को सुधारने के लिए प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग करता है।
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