निजीकरण के विरोध में बिजली विभाग के कर्मचारियों का प्रदर्शन, 26 जनवरी को सैक्टर 28 में होगा बड़ा समागम
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 24 जनवरी: बिजली विभाग के निजीकरण और कर्मचारियों की सेवा शर्तें बरकरार रखने की मांग को लेकर कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। 6 दिसंबर 2024 से शुरू हुआ यह संघर्ष बुधवार को भी डिवीजनों के सामने विरोध रैलियों के रूप में दिखा। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर भेदभावपूर्ण नीतियों का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
26 जनवरी को 1 लाख हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौंपा जाएगा
गणतंत्र दिवस के अवसर पर बिजली विभाग बचाने की अपील के साथ प्रदर्शनकारी प्रशासक को 1 लाख हस्ताक्षरों का ज्ञापन सौंपेंगे। यह ज्ञापन कर्मचारियों के सरकारी दर्जे को बहाल करने और निजीकरण के फैसले को वापस लेने की मांग करेगा।
मुख्य मुद्दे और आरोप:
- निजीकरण का विरोध: कर्मचारियों ने सवाल उठाया कि सरकारी विभाग का निजीकरण किस आधार पर किया गया और क्यों सरकारी कर्मचारियों को निजी कंपनियों के अधीन काम करने पर मजबूर किया जा रहा है।
- स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर और ट्रांसमिशन यूनिट का गठन: प्रशासन पर आरोप है कि उसने SLDC और STU का गठन किए बिना ही वितरण कंपनी को निजी हाथों में सौंप दिया।
- भेदभावपूर्ण नीति: वरिष्ठ कर्मचारियों को उचित जगह पर समायोजित नहीं किया जा रहा और उनकी सेवा शर्तों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
- दोहरे मापदंड: प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारियों को SLDC में समायोजित किया जा रहा है, जबकि कर्मचारियों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है।
वक्ताओं ने दी चेतावनी:
रैलियों में यूनियन के प्रधान अमरीक सिंह, महासचिव गोपाल दत्त जोशी, और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि विभाग को निजी कंपनी के अधीन सौंपा गया तो कोई भी कर्मचारी काम नहीं करेगा। वक्ताओं ने प्रशासन से भेदभावपूर्ण रवैया छोड़ने और कर्मचारियों को SLDC, STU, या अन्य विभागों में समायोजित करने की मांग की।
समारोह में शामिल होने की अपील:
वक्ताओं ने सभी कर्मचारियों से 26 जनवरी को सुबह 10 बजे सेक्टर 28-बी स्थित बिजली कॉलोनी में भारी संख्या में पहुंचने की अपील की।
आगे का आंदोलन:
यदि प्रशासन ने कर्मचारियों की मांगें नहीं मानीं, तो 31 जनवरी को बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति के आह्वान पर एक बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा। कर्मचारी निजीकरण के विरोध में किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
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