Himachal News: कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट करना चाहिए कि अंबेडकर के त्यागपत्र को जनता के सामने क्यों नहीं आने दिया : प्यार सिंह
पराक्रम दिवस नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को रेखांकित करता है : भारद्वाज
बाबूशाही ब्यूरो, 23 जनवरी 2025
शिमला। भाजपा संजौली मंडल द्वारा मंडल अध्यक्ष संजीव चौहान की अध्यक्षता में संविधान गौरव अभियान का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता प्रदेश सह मीडिया प्रभारी प्यार सिंह कंवर रहे।
उनके साथ भाजपा के पूर्व भाजपा अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सुरेश भारद्वाज, उपाध्यक्ष संजीव कटवाल, कोषाध्यक्ष कमलजीत सूद, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, प्रत्याशी संजय सूद, जिला अध्यक्ष केशव चौहान, किसान मोर्चा के अध्यक्ष संजीव दृष्टा उपस्थित रहे। प्यार सिंह कंवर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी, जिसने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का हमेशा अपमान किया, उनका मजाक उड़ाया और उन्हें लज्जित किया, आज वही पार्टी उनके नाम पर हक मांगने का ढोंग कर रही है।
कांग्रेस की सोच हमेशा अंबेडकर विरोधी रही है। कांग्रेस को अपने नेताओं और पंडित नेहरू द्वारा बाबा साहब अंबेडकर के प्रति किए गए अपमान के लिए पूरे देश से बिना शर्त माफी मांगना चाहिए। जब भी कोई व्यक्ति मंत्रि परिषद से इस्तीफा देता है, तो सदन में उसे बोलने का मौका दिया जाता है लेकिन बाबासाहब भीमराव अंबेडकर के इस्तीफे के बाद सदन में उन्हें बोलने तक नहीं दिया गया। अपने त्याग पत्र में बाबा साहब अंबेडकर ने पंडित नेहरू के खिलाफ बहुत कुछ लिखा है। बाबा साहब ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि “मैं वित्त और उद्योग क्षेत्र में पढ़ा-लिखा था, मगर मुझे उससे जुड़ा एक भी विभाग नहीं दिया गया और एक भी संसदीय कमेटी का हिस्सा नहीं बनाया गया। मुझे कानून मंत्रालय दिया तो गया, मगर ईमानदारी से काम नहीं करने दिया गया। मुझे हिंदू कोड बिल के कार्य को पूरा नहीं करने दिया गया। केवल मुसलमानों की चिंता की गई, लेकिन एससी और एसटी को उचित संरक्षण प्रदान नहीं किया गया।
प्रधानमंत्री का सारा ध्यान मुस्लिम समुदाय के प्रति समर्पित रहता है। मुसलमानों को दिए जा रहे संरक्षण से मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन क्या देश में केवल मुसलमानों को ही सुरक्षा की आवश्यकता है?” यही कारण है कि कांग्रेस द्वारा बाबा साहब के त्याग पत्र को जनसामान्य के बीच में नहीं लाया गया। कांग्रेस पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के त्यागपत्र को जनता के सामने क्यों नहीं आने दिया? शायद अगर यह त्यागपत्र सामने आता, तो पंडित जवाहरलाल नेहरू की पगड़ी उछल जाती।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पराक्रम दिवस के अवसर पर, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को रेखांकित करता है, हम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके अपार योगदान और उनकी अदम्य भावना का सम्मान करते हैं, जो आज भी युवाओं को प्रेरित करती है। इस दूरदर्शी नेता के जीवन और आदर्शों का उत्सव मनाने के लिए स्थापित, पराक्रम दिवस इस बात पर विचार करने का एक अवसर है कि हम उनके सिद्धांतों को अपनी व्यक्तिगत और राष्ट्रीय आकांक्षाओं के साथ कैसे एकीकृत कर सकते हैं।
यह दिन, न केवल उनके बलिदान की याद दिलाता है, बल्कि कार्रवाई का आह्वान भी करता है तथा हमें साहस, निष्ठा और नेतृत्व के उनके सिद्धांतों को अपनाने का आग्रह करता है, ताकि एक समृद्ध, आत्मनिर्भर राष्ट्र का निर्माण किया जा सके। (SBP)
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