विभागीय उदासीनता के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई अमृत सरोवर योजना: कुमारी सैलजा
कहा- तालबों की गाद से आ रही है भ्रष्टाचार की बू, सरकार बैठी है हाथ पर हाथ रखे हुए
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 24 जनवरी। अखिल भारतीय कांगे्रस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार प्रदेश को दीमक की तरह खा रहा है पर सरकार इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रही है और हर मंच से दावा किया जा रहा है कि भ्रष्टाचार खत्म हो चुका है। जल संरक्षण के लिए चलाई जा रही अमृत सरोवर योजना विभागीय उदासीनता के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। प्रदेश के तालाब खुद भ्रष्टाचार के जीते जागते सबूत है जो सरकार को दिखाई नहीं दे रहे हैं। सरकार को इस दिशा मे सख्त कदम उठाते हुए भ्रष्टाचार करने वाले और उसका पोषण करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि वर्ष 2022 में जल संरक्षण के लिए अमृत सरोवर योजना शुरू की गई थी जिसके तहत हर जिला में 75-75 तालाबोंं का सौंदर्यकरण किया जाना था। जिसके तहत तालाबों की खुदाई कर गाद को बाहर निकालना, किनारों को पक्का करना, तालाब के चारो ओर सड़क बनाना, पौधारोपण करना, बैच लगाना और लाइट लगवाना था। हरियाणा में एक जनवरी 2022 से 15 जुलाई 2024 तक 2118 तालाबों का सौंदर्यकरण किया जाना था। इनमें हिसार में सर्वाधिक 170, फतेहाबाद में 156, करनाल में 155 और सिरसा के 141 तालाब शामिल थे। सरकार की ओर से इन तालाबों के सौंदर्यकरण पर 57489. 30 लाख रुपये की राशि खर्र्च की जानी थी। सौंदर्यकरण का काम कागजों में किया गया और मौके पर कुछ तालाबों की मिट्टी निकालकर बाहर डाल दी गई इसके बाद काम बीच में ही छोड़ दिया गया।
कुमारी सैलजा ने कहा कि तालाबों के सौंदर्यकरण के नाम पर जमकर लूट हुई ऐसी ही लूट मनरेगा के नाम पर हुई थी, पर सरकार ने जांच के नाम पर खानापूर्ति ही की। हर तालाब की गाद से भ्रष्टाचार की बू आ रही है पर सरकार मौन साधे हुए है। अगर सरकार ईमानदारी का दंभ भरती हैै तो उसे अमृत सरोवर योजना में हुए घोटालों की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए। कुमारी सैलजा ने कहा कि तालाबों के सौंदर्यकरण के नाम पर लोगों ने करीब 950 शिकायतें सरकार और संबंधित विभाग से की, इसका निरीक्षण भी उनसे ही करवाया गया जिन पर भ्रष्टाचार को लेकर उंगली उठ रही थी। सिरसा में पहले 141 तालाबों का सौंदर्यकरण होना था बाद में 77 का चयन हुआ, इनमें से 54 तालाब की मिट्टी बाहर निकालकर काम बीच में ही छोड़ दिया गया। करीब 11 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की गई पर धरातल पर तालाब का कोई सौंदर्य करण नजर नहीं आ रहा है। सिरसा जिला में जिन गांवों में तालाबों का सौंदर्यकरण होना था वहां के सरपंच और ग्रामीण शिकायतें करते करते थक गए पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
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