पंचकूला शहर में सड़कों पर आवारा मवेशियों का आतंक, बढ़ते हादसों से लोग परेशान
पंचकूला में आवारा पशुओं की समस्या बनी मुसीबत, प्रशासन मौन
रमेश गोयत
पंचकूला, 23 मार्च। शहर की सड़कों पर घूमते आवारा मवेशी न सिर्फ यातायात को बाधित कर रहे हैं, बल्कि सड़क हादसों का कारण भी बन रहे हैं। पंचकूला के विभिन्न सेक्टरों, मुख्य मार्गों और बाजारों में यह समस्या लगातार बढ़ रही है। खासकर रात के समय जब रोशनी कम होती है, तो सड़क पर अचानक आ जाने वाले मवेशी दुर्घटनाओं की आशंका को और अधिक बढ़ा देते हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, कई पशुपालक अपने पालतू मवेशियों से दूध निकालने के बाद उन्हें सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं, जिससे न केवल यातायात बाधित होता है, बल्कि जगह-जगह गंदगी भी फैलती है। कई बार ये पशु सड़क के बीचों-बीच बैठ जाते हैं, जिससे वाहनों के चालकों को ब्रेक लगाकर रुकना पड़ता है। यह स्थिति दोपहिया वाहन चालकों के लिए और भी खतरनाक साबित हो रही है।
बढ़ रहे सड़क हादसे, प्रशासन की सुस्ती पर उठे सवाल
पिछले कुछ महीनों में पंचकूला में आवारा पशुओं से जुड़े सड़क हादसों में तेजी से वृद्धि हुई है। कई बार तेज रफ्तार वाहनों की टक्कर इन मवेशियों से हो जाती है, जिससे वाहन चालकों की जान पर बन आती है। कुछ मामलों में मवेशियों की जान भी चली जाती है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार नगर निगम और प्रशासन से इस समस्या के समाधान की मांग की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। सेक्टर-9 निवासी अजय शर्मा ने बताया, "रात के समय अचानक गाय या सांड सड़क पर आ जाते हैं, जिससे एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है। कई बार प्रशासन को शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।"
सेक्टर-12 की एक महिला निवासी रचना देवी ने बताया कि उनकी स्कूटी पिछले महीने एक बैल से टकराने के कारण फिसल गई थी, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई थीं। "मैंने इस घटना की सूचना नगर निगम को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।"
नगर निगम की कार्रवाई पर सवालिया निशान
नगर निगम ने इस समस्या के समाधान के लिए कई बार ठेके पर गौ-शाला संचालकों को पशु पकड़ने का काम सौंपा है, लेकिन यह अभियान पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है। प्रशासन की सुस्ती और गौशाला संचालकों की लापरवाही के कारण आवारा मवेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है।
नगर निगम के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नगर निगम के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं कि हर दिन बड़ी संख्या में मवेशियों को पकड़कर गौशालाओं में भेजा जाए। "हम नियमित रूप से कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन पशुपालक फिर से नए मवेशियों को छोड़ देते हैं, जिससे समस्या बनी रहती है," अधिकारी ने कहा।
समाधान के लिए क्या किया जा सकता है?
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सख्त कानून: पशुपालकों पर भारी जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए ताकि वे अपने मवेशियों को खुला न छोड़ें।
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शहर के बाहर गौशालाओं का विस्तार: आवारा मवेशियों को रखने के लिए पर्याप्त गौशालाओं का निर्माण किया जाना चाहिए।
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नगर निगम की निगरानी बढ़ाई जाए: एक विशेष टीम बनाई जाए जो नियमित रूप से सड़कों पर घूमते मवेशियों को हटाने का काम करे।
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जनता की भागीदारी: स्थानीय लोगों को भी इस मुद्दे पर जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे प्रशासन को शिकायत करने में संकोच न करें।
स्थानीय लोग प्रशासन से क्या मांग कर रहे हैं?
पंचकूला के निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकाला जाए। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में हादसों की संख्या और बढ़ सकती है।
शहर की सड़कों पर आवारा मवेशियों की समस्या सिर्फ पंचकूला की नहीं, बल्कि पूरे हरियाणा की है। लेकिन पंचकूला जैसे विकसित शहर में यह समस्या अधिक गंभीर हो रही है, जिससे न केवल यातायात प्रभावित हो रहा है, बल्कि लोगों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ रही है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब तक इस मुद्दे को गंभीरता से लेता है और क्या ठोस कार्रवाई करता है।
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