CHD: शहीदी दिवस पर गांधी स्मारक भवन में साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 23 मार्च – गांधी स्मारक निधि (पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश) पट्टीकल्याणा, जिला पानीपत द्वारा संचालित गांधी स्मारक भवन, सेक्टर-16, चंडीगढ़ में आज शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीदी दिवस पर एक भव्य साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित की गई।
इस संगोष्ठी का आयोजन गांधी स्मारक भवन और चंडीगढ़ वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एस.सी. अग्रवाल (प्रधान, चंडीगढ़ वरिष्ठ नागरिक एसोसिएशन) ने की, जबकि चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सुदेश शर्मा विशिष्ट अतिथि रहे।
मुख्य वक्ता जसमीत सिंह बेदी का ऐतिहासिक भाषण
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता हरियाणा विश्व गुरुद्वारा न्यायिक आयोग के न्यायिक सदस्य एवं पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता जसमीत सिंह बेदी थे। उन्होंने शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान पर विस्तार से प्रकाश डाला और लाला लाजपत राय की शहादत के बदले की ऐतिहासिक घटना का संपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया।
अपने संबोधन की शुरुआत उन्होंने कुमार विश्वास की इन पंक्तियों से की:
"प्रथम पद पर वतन ना हो तो हम चुप रह नहीं सकते,
किसी शव पर कफ़न ना हो तो हम चुप रह नहीं सकते,
भले सत्ता को कोई भी सलामी दे न दे लेकिन,
शहीदों को नमन ना हो तो हम चुप रह नहीं सकते!"
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने इकबाल की प्रसिद्ध पंक्तियों के साथ युवाओं को जागरूक करने का संदेश दिया:
"वतन की फ़िक्र कर ए नादाँ, मुसीबत आने वाली है,
तेरी बर्बादियों के मश्वरे हैं आसमानों में!
न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिंदुस्तान वालों,
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में!"
कविताओं और गीतों से गूंजा सभागार
संगोष्ठी में कई प्रख्यात कवियों और कलाकारों ने अपने देशभक्ति गीतों और कविताओं से श्रद्धांजलि अर्पित की:
आशा शर्मा ने पंजाबी गीत "जदों वीर भगत सिंह साहिब नूं दित्ता फांसी दा हुकम सुना" गाकर सभी को भावुक कर दिया।
रेखा मित्तल ने कविता प्रस्तुत की:
"भगत सिंह के दिल में इन्कलाब की जलती हुई चिंगारी थी,
आज़ादी के सिवा कुछ मंज़ूर नहीं, भारत मां को वो प्यारी थी!"
सुधा मेहता, जो हिंदी और पंजाबी की प्रसिद्ध कवियत्री और कत्थक नृत्यांगना हैं, ने पंजाबी गीत "ओ भगत सिंहा, तेरियां उडीकां पंजाब च, ना तेरे जिहा सूरमा जो, ज़मीर जगावे पंजाब च" सुनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
मंजू खोसला ने कविता "हम में है भगत, कैसे भूलें तुझे ए शूरवीर, भारत के शमशेर भगत" सुना कर देशभक्ति की भावना को और प्रबल किया।
बीएसएनएल से सेवानिवृत्त लेखा अधिकारी अशोक शर्मा ने हरियाणवी रागनी "लाहौर जिले में छोटा सा एक बंगा गाम सुना हो रे" गाकर कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए।
अंग्रेज़ी और हिंदी भाषा की उभरती कवियत्री जया सूद ने अपनी कविता "चल दिए वो वीर सैनानी, इन्कलाब का नारा लगाए" सुना कर सभी दर्शकों से तालियां बटोरीं।
गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेने का आह्वान
मंच संचालन करते हुए राजेश आत्रेय ने सुखदेव और राजगुरु के जीवन पर प्रकाश डाला और उनके जीवन से जुड़ी रोचक घटनाएं साझा कीं।
विशिष्ट अतिथि सुदेश शर्मा ने कहा,
"हमारी आज़ादी उन वीर सपूतों की बदौलत है जिन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। पंजाब की धरती ने अनेक ऐसे सपूत दिए हैं जिन्होंने देशहित को निजी स्वार्थ से ऊपर रखा और वे अमर हो गए।"
शहीदों की विरासत को सहेजने का संकल्प
अपने अध्यक्षीय भाषण में एस.सी. अग्रवाल ने कहा,
"यह देश सदैव भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव जैसे वीरों का ऋणी रहेगा। हमें उनके बलिदानों से मिली इस स्वतंत्रता को बनाए रखना है और अपने देश को प्रगति के मार्ग पर आगे ले जाना है।"
समापन और आभार व्यक्त
कार्यक्रम के अंत में गांधी स्मारक भवन के प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. अवनीश मेहरा ने सभी अतिथियों और सहभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा,
"हमारा उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ी हमारे महान स्वतंत्रता सेनानियों को सदैव याद रखे और उनके पदचिन्हों पर चलने की प्रेरणा ले।"
इस संगोष्ठी में गांधी स्मारक भवन की सलाहकार रंजना गोयल, कार्यालय कर्मी संजू, सपना, राजू और अखिलेश ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें आशुतोष, नेहा, गिरवर शर्मा, सुनीता वर्मा और सुरेश वर्मा प्रमुख थे।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →