चंडीगढ़: डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर 10 लाख की साइबर ठगी, मामला दर्ज
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 23 मार्च 2025 – शहर में साइबर अपराधियों ने ठगी का नया तरीका अपनाते हुए एक व्यक्ति को ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ (Digital Arrest) के नाम पर 10 लाख रुपये से ठग लिया। इस मामले में पीड़ित विभाष चंद्र, निवासी यंग ड्वेलर्स कॉम्प्लेक्स, सेक्टर-49, चंडीगढ़, की शिकायत पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है।
कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?
पीड़ित विभाष चंद्र के अनुसार, कुछ दिन पहले उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को एक सरकारी जांच एजेंसी का अधिकारी बताया। आरोपी ने दावा किया कि विभाष चंद्र का नाम एक बड़े साइबर अपराध मामले में शामिल है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और अंतरराष्ट्रीय फंड ट्रांसफर से जुड़ी गतिविधियां पाई गई हैं।
इसके बाद, आरोपी ने विभाष को एक वीडियो कॉल पर ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ दिखाते हुए कहा कि उनकी गतिविधियां संदिग्ध पाई गई हैं और उन्हें अब कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। ठगों ने विभाष को मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव में डालते हुए उनसे बैंक डिटेल और अन्य निजी जानकारी मांगी।
डर और घबराहट में आए विभाष चंद्र ने अपनी निर्दोषता साबित करने के लिए बताए गए अकाउंट में 10 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। कुछ देर बाद जब उन्होंने इस मामले की जांच की, तो उन्हें एहसास हुआ कि यह एक संगठित साइबर ठगी थी।
क्या है ‘डिजिटल गिरफ्तारी’?
साइबर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही यह नई तकनीक बेहद खतरनाक है। इसमें ठग किसी सरकारी एजेंसी, पुलिस या प्रवर्तन निदेशालय (ED) का अधिकारी बनकर वीडियो कॉल के जरिए व्यक्ति को डराते हैं। वे फर्जी कागजात और नकली गिरफ्तारी वारंट दिखाते हैं और पैसे देने का दबाव बनाते हैं। पीड़ित को ऐसा महसूस कराया जाता है जैसे वह कानूनी पचड़े में फंस चुका है और अगर वह तुरंत भुगतान नहीं करेगा, तो उसे गंभीर कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।
चंडीगढ़ पुलिस की कार्रवाई
चंडीगढ़ साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन ने विभाष चंद्र की शिकायत के आधार पर धारा 318(4), 319(2), 336(3), 338, 340(2), 61(2) बीएनएस के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शुरुआती जांच में इस ठगी में अंतरराज्यीय साइबर गिरोह के शामिल होने की आशंका है। पुलिस साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से कॉल डिटेल और बैंक ट्रांजेक्शन की जांच कर रही है।
पिछले मामले और बढ़ता साइबर अपराध
चंडीगढ़ में इस तरह की साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले साल भी कई हाई-प्रोफाइल ठगी के मामले सामने आए थे:
जुलाई 2024: सेक्टर-48 की वीणा चेची से 72 घंटे तक ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के नाम पर 65 लाख रुपये ठग लिए गए थे।
नवंबर 2024: डड्डूमाजरा के हरि नाथ सिंह से 51 लाख रुपये ऐंठे गए।
फरवरी 2025: एक महिला से 95 लाख रुपये की ठगी की गई थी।
कैसे बचें ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ से?
चंडीगढ़ पुलिस ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है और निम्नलिखित उपाय अपनाने को कहा है:
सरकारी एजेंसियां फोन पर गिरफ्तारी नहीं करतीं: किसी भी सरकारी विभाग या एजेंसी की ओर से डिजिटल गिरफ्तारी का कोई प्रावधान नहीं है।
अनजान कॉल पर विश्वास न करें: अगर कोई खुद को पुलिस, ईडी या सीबीआई अधिकारी बताकर पैसे मांगता है, तो पहले उसकी पुष्टि करें।
बैंकिंग डिटेल किसी को न दें: किसी भी अनजान व्यक्ति को बैंक डिटेल, ओटीपी या अन्य व्यक्तिगत जानकारी न दें।
संदिग्ध कॉल की सूचना दें: ऐसी किसी भी ठगी की तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।
‘डिजिटल गिरफ्तारी’ के नाम पर हो रही साइबर ठगी लोगों के लिए गंभीर खतरा बन रही है। चंडीगढ़ पुलिस इस गिरोह को पकड़ने के लिए जांच तेज कर रही है, लेकिन लोगों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। किसी भी संदिग्ध कॉल पर तुरंत पुलिस से संपर्क करें और अपनी मेहनत की कमाई को साइबर ठगों से बचाएं।
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