कैथल: किसानों का बड़ा आंदोलन, सांकेतिक भूख हड़ताल का ऐलान
बाबूशाही ब्यूरो
कैथल, 05 मार्च। हरियाणा: आज हरियाणा के कैथल जिले में किसान संगठनों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर एक बड़ा कदम उठाने का निर्णय लिया है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन के 100 दिन पूरे होने के मौके पर लघु सचिवालय में एक दिन की सांकेतिक भूख हड़ताल का आयोजन किया जाएगा। यह प्रदर्शन सरकार पर दबाव बनाने और किसानों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से किया जा रहा है।
किसानों की प्रमुख मांगें:
किसानों का आरोप है कि उनकी मांगों को सरकार ने लंबे समय से अनसुना किया है। उनका कहना है कि सरकार को सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गारंटी देने वाला कानून बनाना चाहिए। इसके अलावा, डॉक्टर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर फसलों के दाम तय करने की मांग भी की जा रही है ताकि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके। किसानों और खेत मजदूरों के लिए पूर्ण कर्ज माफी की मांग भी जोर-शोर से उठाई गई है।
भूमि अधिग्रहण और न्याय की मांग:
किसान संगठनों ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को फिर से लागू करने की मांग की है। उनका कहना है कि भूमि अधिग्रहण से पहले किसानों की लिखित सहमति ली जाए और उन्हें बाजार मूल्य से चार गुना मुआवजा दिया जाए। इसके साथ ही लखीमपुर खीरी नरसंहार के दोषियों को सजा देने और पीड़ित किसानों को न्याय दिलाने की मांग भी की गई है।
वैश्विक व्यापार और पेंशन पर जोर:
किसान संगठनों ने भारत को विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर करने और सभी मुक्त व्यापार समझौतों पर रोक लगाने की मांग की है, क्योंकि उनका मानना है कि ये समझौते भारतीय किसानों के हितों के खिलाफ हैं। इसके साथ ही, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन योजना की शुरुआत की मांग भी की गई है, ताकि उनकी वृद्धावस्था में आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
बिजली विधेयक और मनरेगा में बदलाव की जरूरत:
किसानों ने विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने की मांग की है, क्योंकि उनका मानना है कि यह विधेयक किसानों और गरीबों के खिलाफ है। साथ ही, मनरेगा के तहत प्रत्येक वर्ष 200 दिन का रोजगार और 700 रुपये की दैनिक मजदूरी की मांग की गई है। मनरेगा को खेती से जोड़ने का सुझाव भी दिया गया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
नकली बीज और मसाला आयोग का मुद्दा:
किसान संगठनों ने नकली बीज, कीटनाशकों और खाद बनाने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि इन कंपनियों पर कठोर दंड और जुर्माना लगाए जाएं, साथ ही बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए। मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए एक राष्ट्रीय आयोग बनाने की भी मांग की गई है।
आदिवासियों के अधिकार और संविधान का सम्मान:
प्रदर्शनकारी किसानों ने संविधान की पांचवीं सूची को लागू करने की मांग की है और जल, जंगल, और जमीन पर आदिवासियों के अधिकार सुनिश्चित करने की बात की है। उनका कहना है कि कंपनियों द्वारा आदिवासियों की भूमि की लूट को रोका जाए।
दिल्ली आंदोलन के शहीदों को सम्मान:
किसान संगठनों ने दिल्ली आंदोलन में शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की है। उनका कहना है कि ये शहीद किसान देश के अन्नदाताओं के अधिकारों के लिए लड़े थे, इसलिए उनके परिवारों का सम्मान जरूरी है।
कैथल में होने वाली यह भूख हड़ताल किसानों के संघर्ष का एक नया अध्याय साबित हो सकती है। किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
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