रॉक गार्डन की ऐतिहासिक दीवार गिराने पर नागरिकों का विरोध, प्रशासन की कार्रवाई पर उठे सवाल
रमेश गोयत
चंडीगढ़,09 मार्च: चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा रॉक गार्डन की ऐतिहासिक दीवार और प्रवेश द्वार को गिराने की कार्रवाई से नागरिकों में जबरदस्त आक्रोश है। 8 मार्च की रात, जब अधिकतर वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शहर से बाहर थे, उसी दौरान प्रशासन ने नागरिकों के विरोध को अनदेखा करते हुए यह कदम उठाया। सोशल मीडिया पर रात में दीवार गिराने के वीडियो वायरल होते ही पूरे शहर में गुस्से की लहर दौड़ गई।
नागरिकों की आवाज़ को दबाया गया?
'सेविंग चंडीगढ़' समूह के स्वयंसेवक उस समय सुखना झील पर खड़े होकर इस मुद्दे पर जागरूकता फैला रहे थे, जब प्रशासन ने गुपचुप तरीके से दीवार और प्रवेश द्वार गिरा दिए। नागरिकों का कहना है कि यह सिर्फ एक दीवार नहीं थी, बल्कि चंडीगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा थी।
पर्यावरणविद समिता कौर ने कहा,
"इस दीवार पर नेक चंद के हस्ताक्षर थे, यह सिर्फ़ ईंट-पत्थर की संरचना नहीं थी, बल्कि एक कलाकार की रचनात्मक कला को बर्बाद किया गया है। प्रशासन को पहले अन्य विकल्प तलाशने चाहिए थे।"
प्रशासन पर लगे गंभीर आरोप
'सेविंग चंडीगढ़' समूह का कहना है कि पर्यावरण विभाग द्वारा जारी किए गए चित्रों और वास्तविक कार्य के बीच भारी विसंगतियां हैं।
वन क्षेत्र से गैर-वन क्षेत्र में परिवर्तित की गई भूमि की जो सीमा तय की गई थी, उससे कई गुना ज़्यादा भूमि का उपयोग किया जा रहा है। मुख्य वास्तुकार के अक्टूबर 2024 के नक्शे में सड़क को सीधा करने के लिए दीवार का केवल छोटा हिस्सा गिराने की बात थी, लेकिन पूरी दीवार और प्रवेश द्वार को ध्वस्त कर दिया गया। चंडीगढ़ प्रशासन ने इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन तक नहीं कराया, जिससे पेड़ों और पारिस्थितिकी पर असर का आकलन किया जा सके।
ग्रीन बेल्ट के नुकसान पर भी उठे सवाल
- समूह ने प्रशासन से मांग की है कि वन विभाग द्वारा मौके पर सर्वेक्षण कराया जाए, ताकि यह पता चले कि सड़क चौड़ीकरण के नाम पर कितने पेड़ों को काटा या क्षतिग्रस्त किया गया।
- उन्होंने मुख्य वास्तुकार और मुख्य अभियंता की जवाबदेही तय करने की भी मांग की है, क्योंकि उन्होंने मास्टर प्लान के नियमों को दरकिनार कर यह कार्रवाई की।
- नागरिकों ने सुखना कैचमेंट क्षेत्र में बस्तियों को अवैध घोषित करने और पार्किंग के लिए जंगल काटने के प्रशासनिक दोहरे मापदंडों पर भी सवाल उठाए हैं।
"यह सिर्फ़ सत्ता संघर्ष है, दूरदृष्टि नहीं"
'सेविंग चंडीगढ़' के सदस्य विख्यात महाजन ने दुख व्यक्त करते हुए कहा,
"चंडीगढ़ को बनाने और डिज़ाइन करने वाला दूरदर्शी प्रशासन बहुत पहले चला गया। अब सिर्फ़ वे लोग बचे हैं, जिन्होंने इस शहर के लिए कुछ नहीं किया, उनके पास कोई दृष्टि नहीं है और वे सत्ता के संघर्ष में लगे हुए हैं। विकास के नाम पर ग्रीनबेल्ट और ऐतिहासिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है।"
नागरिकों का कहना है कि यह भारत के इतिहास में दर्ज होगा कि कुछ पार्किंग स्थानों के लिए शहर की संस्कृति और हरित विरासत को नष्ट किया गया। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इस पर कोई स्पष्टीकरण देता है या यह विरोध और तेज़ होगा।
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