पंचकूला में करोड़ों की बर्बादी या जनता के हित में निवेश? विकास मंच ने उठाए सवाल
बाबूशाही ब्यूरो
पंचकूला, 9 मार्च 2025: नगर निगम पंचकूला द्वारा 300 करोड़ रुपये के बजट में नई एंबुलेंस, फ्यूनरल वैन और अन्य वाहनों की खरीद पर सवाल उठते दिख रहे हैं। विकास मंच पंचकूला ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि यह करोड़ों रुपये की बर्बादी होगी, क्योंकि पहले भी कई महंगी गाड़ियां बिना उपयोग के कबाड़ में बदल दी गईं।
क्या इतनी एंबुलेंस और गाड़ियां जरूरी हैं?
बजट के तहत हर वार्ड के लिए एक एंबुलेंस और 5 वार्डों के लिए फ्यूनरल वैन का प्रावधान किया गया है। मंच का कहना है कि पहले की खरीदी गई महंगी गाड़ियां कबाड़ बनकर पड़ी हैं, तो फिर से नए वाहनों पर इतना खर्च करना जनता के पैसों की बर्बादी होगी।
मंच ने कहा, "ड्राइवरों की भर्ती भी उसी तरह होगी जैसे 29 ई-रिक्शा का हाल किया था। 14 फायर गाड़ियां सेक्टर 21 के कम्युनिटी सेंटर में कबाड़ बन चुकी हैं। इससे पहले भी कई गाड़ियां शो-रूम से लाकर सेक्टर 12 के कम्युनिटी सेंटर में सालों खड़ी रहीं।"
कबाड़ बनी गाड़ियां और बर्बाद होते संसाधन
पंचकूला में पहले भी कई बार सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग की घटनाएं सामने आई हैं। मंच ने आरोप लगाया कि सैकड़ों रेहड़ियों को पहले सेक्टर 11 के कम्युनिटी सेंटर में रखकर बेकार कर दिया गया, और जब इसकी चर्चा हुई तो इन्हें छिपाने के लिए दूसरी जगह भेज दिया गया।
काटने वाले कुत्तों से बचाव जरूरी या नए हेल्थ सेंटर?
नगर निगम ने 5 कम्युनिटी सेंटरों में डॉक्टर और नर्सों की नियुक्ति करने का प्रस्ताव रखा है, ताकि आवारा कुत्तों के काटने के मामलों में इलाज उपलब्ध कराया जा सके। हालांकि, मंच का कहना है कि पंचकूला में पहले से ही स्वास्थ्य विभाग की डिस्पेंसरियां मौजूद हैं। ऐसे में अतिरिक्त हेल्थ सेंटर बनाना जरूरी है या नहीं, यह जनता को तय करना होगा।
घग्गर नदी के किनारे गौशाला - कानूनी रूप से सही या गलत?
नगर निगम की योजना के तहत घग्गर नदी के पास एक गौशाला स्थापित करने का प्रस्ताव है। मंच ने इस पर सवाल उठाया कि क्या यह कानूनन सही है? इसके साथ ही गौशाला का ठेका बढ़ाने पर भी मंच ने पारदर्शिता की मांग की।
सफाई मशीनें, लेकिन सफाई कर्मचारियों पर निर्भरता क्यों?
पंचकूला की मुख्य सड़कों पर 4 स्वैपिंग मशीनों से सफाई का दावा किया जाता है, जिस पर हर साल 3 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। लेकिन, इसके बावजूद सड़क किनारे और बर्म्स की सफाई सफाई कर्मचारियों से ही करवाई जाती है।
मंच ने सवाल उठाया कि "अगर मुख्य सड़कें रात को खाली रहती हैं, फिर भी मशीनें ठीक से काम नहीं कर पा रहीं, तो क्या 2 गाड़ियां अंदर की सड़कों को साफ कर पाएंगी, जहां पहले से गाड़ियां खड़ी रहती हैं?"
पिछले 5 सालों के घोटाले – किसे हुआ फायदा?
विकास मंच ने पिछले पांच सालों में हुए घोटालों की ओर भी इशारा किया। मंच का कहना है कि इन घोटालों से जनता को कोई लाभ नहीं मिला, बल्कि कुछ गिने-चुने लोगों को फायदा पहुंचा।
मंच ने नागरिकों से आह्वान किया कि वे खुद विचार करें कि इस साल के बजट से असली फायदा किसे होगा – जनता को या फिर कुछ विशेष लोगों को?
जनता को तय करना है – यह विकास है या जनता के पैसों की बर्बादी?
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