नेक चंद: रॉक गार्डन के पीछे की प्रेरणादायक कहानी
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 9 मार्च – चंडीगढ़ के प्रसिद्ध रॉक गार्डन के संस्थापक नेक चंद जी से जुड़े कई प्रेरणादायक किस्से हैं, जिन्हें उनके करीबी रहे विमल त्रिखा (रिटायर्ड सुपरिंटेंडेंट, होम सेक्रेटरी ऑफिस, चंडीगढ़ प्रशासन) ने साझा किया।
कैसे हुई रॉक गार्डन की शुरुआत?
नेक चंद जी का सफर बेहद दिलचस्प था। उनके शुरुआती करियर में, वे चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग विभाग में कार्यरत थे। खाली समय में वे साइकिल पर शहर भर में घूमकर टूटे कांच, क्रॉकरी के टुकड़े और अन्य बेकार वस्तुएं इकट्ठा करते थे। इन सामग्रियों को वे अकेले ही झील के पास एक झोपड़ीनुमा जगह में रखकर अनोखी कलाकृतियों में बदलते थे। यह सिलसिला लगभग पाँच साल तक चला।
एक दिन, जब उन्होंने अपनी कलाकृतियां चीफ इंजीनियर को दिखाईं, तो अधिकारी उनकी प्रतिभा से बेहद प्रभावित हुए। यही वह क्षण था, जब रॉक गार्डन की नींव पड़ी। बाद में, नेक चंद जी को रॉक गार्डन का पहला निदेशक नियुक्त किया गया।
नेक चंद जी की सादगी और अनोखी जीवनशैली
विमल त्रिखा बताते हैं कि नेक चंद जी के साथ उनका गहरा रिश्ता था। वे अक्सर शाम को रॉक गार्डन के निदेशक कक्ष में साथ बैठते और चाय पीते थे। एक रोचक घटना का जिक्र करते हुए, त्रिखा जी ने बताया कि 2009 में, नेक चंद जी ने उन्हें रॉक गार्डन में फिल्म शूटिंग की विशेष अनुमति दी थी, क्योंकि उनकी बेटी फिल्मों में अभिनय कर रही थीं।
ट्रक से धार्मिक कार्यक्रम में पहुंचे नेक चंद
एक और दिलचस्प घटना का जिक्र करते हुए, त्रिखा जी बताते हैं कि एक बार नेक चंद जी ने उन्हें सेक्टर-37 में एक धार्मिक कार्यक्रम में चलने को कहा। लेकिन उस समय उनके पास कोई वाहन उपलब्ध नहीं था। तभी वहाँ ईंटों से भरा एक ट्रक खड़ा था। नेक चंद जी ने बिना झिझक उस ट्रक में जाने का फैसला किया, और दोनों ने उसी ट्रक से कार्यक्रम में शिरकत की। यह उनकी सरलता और विनम्र स्वभाव को दर्शाता है।
नेक चंद जी की यह यात्रा आज भी रॉक गार्डन को भारत के सबसे अद्भुत स्थलों में से एक बनाती है, और उनकी विरासत चंडीगढ़वासियों के लिए प्रेरणा बनी हुई है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →