आयुष्मान भारत में फर्जीवाड़ा;
पीजीआई में मरीजों की दवाओं की हेराफेरी, प्रशासन ने उठाए सख्त कदम
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 9 मार्च ।आयुष्मान भारत कैशलेस स्कीम में पीजीआई में एक बड़ी धोखाधड़ी सामने आई है, जहां मरीजों की दवाओं की हेराफेरी की जा रही थी। चोरी की गई इंडेंट बुक और नकली मोहरों के जरिए कैशलेस योजना के लाभार्थियों की दवाएं गलत हाथों में जा रही थीं। यह घोटाला 18 फरवरी 2025 को तब पकड़ा गया, जब पीजीआई की आंतरिक जांच और सतर्कता टीम ने संदिग्ध व्यक्ति को रंगे हाथों पकड़ लिया। इस व्यक्ति को तुरंत पुलिस के हवाले कर दिया गया और पीजीआई व अमृत फार्मेसी ने मिलकर कानूनी शिकायत दर्ज कराई।
इस घोटाले के बाद पीजीआई प्रशासन ने भविष्य में ऐसे मामलों को रोकने के लिए कई सख्त कदम उठाए हैं।
मैनुअल प्रक्रिया को खत्म कर ऑनलाइन सिस्टम लागू
अब कैशलेस मरीजों के लिए दवाओं की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी। अस्पताल के कंप्यूटर विभाग ने इसे एक सप्ताह के अंदर हॉस्पिटल इंफॉर्मेशन सिस्टम से जोड़ने की योजना बनाई है।
कैशलेस मरीजों के लिए अलग सेवा क्षेत्र
इमरजेंसी विभाग के बाहर एक विशेष क्षेत्र बनाया गया है, जहां केवल आयुष्मान भारत और अन्य कैशलेस योजनाओं के लाभार्थियों को दवाएं दी जाएंगी।
बढ़े हुए स्टाफ के साथ दवा की सीधी आपूर्ति
पीजीआई और अमृत फार्मेसी मिलकर अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती करेंगे ताकि दवाएं और इम्प्लांट सीधे मरीजों के बेड तक पहुंच सके।
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