आउटसोर्स्ड वर्करों की भूख हड़ताल 12वें दिन जारी,
सैलरी न मिलने के विरोध में कटोरा लेकर मांगी भीख
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 21 मार्च : चंडीगढ़ में आउटसोर्स्ड कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन न मिलने के खिलाफ भूख हड़ताल शुक्रवार को 12वें दिन में प्रवेश कर गई। प्रशासन की बेरुखी से नाराज कर्मचारियों ने मार्केट में कटोरा लेकर भीख मांगकर विरोध जताया और जोरदार नारेबाजी की।
भूख हड़ताल पर बैठे 24 कर्मचारी
सेक्टर-16 स्थित मेंटेनेंस बूथ पर अलग-अलग विभागों के 24 कर्मचारी भूख हड़ताल पर बैठे। इनमें शामिल हैं:
पब्लिक हेल्थ विभाग से रविंदर कुमार, दीपक
वाटर सप्लाई विभाग (नगर निगम) से राकेश कुमार
सीवर विभाग (नगर निगम) से विपन कुमार
बिल्डिंग मेंटेनेंस विभाग से दीना नाथ, दीपक, राजप्पा
इलेक्ट्रिकल विभाग से प्रदीप कुमार
अन्य विभागों से हरमेश चौधरी, गुरपाल चौधरी, लाभ सिंह, रजत राणा, हरजीत सिंह, सौरव कुमार, पवन मिश्रा, गुरजंट सिंह, संदीप कुमार, सुखजीत सिंह, सुमित सिंह, अजीत सिंह, मोहित कुमार, सुनील कुमार, अमृत सिंह
कोऑर्डिनेशन कमेटी ने प्रशासन को घेरा
कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ गवर्नमेंट एंड एमसी इम्प्लॉइज एंड वर्कर्स यूटी चंडीगढ़ के प्रधान सतिंदर सिंह, महासचिव राकेश कुमार, कैशियर किशोरी लाल, कृपण यशपाल, वरिंदर बिष्ट और सुखविंदर सिंह ने हड़ताली कर्मचारियों को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग विभाग के इलेक्ट्रिकल सर्कल, पब्लिक हेल्थ सर्कल, कंस्ट्रक्शन सर्कल, नगर निगम और सीटीयू में कार्यरत आउटसोर्स्ड कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है।
प्रशासन और लेबर विभाग की हिदायतों की अनदेखी की जा रही है।
श्रम कानूनों को लागू नहीं किया जा रहा।
कई बार अनुरोध करने के बावजूद सैलरी का भुगतान नहीं हुआ।
8 अप्रैल को होगा सचिवालय का घेराव, 29 मार्च को कन्वेंशन
कमेटी ने ऐलान किया कि:
28 मार्च तक भूख हड़ताल जारी रहेगी।
29 मार्च को वर्करों की कन्वेंशन होगी, जिसमें 8 अप्रैल को चंडीगढ़ सचिवालय के घेराव की तैयारियों का जायजा लिया जाएगा।
21 मार्च को कर्मचारियों ने भीख मांगकर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया है।
मांगें और चेतावनी
अधिकारियों से बातचीत कर जल्द वेतन जारी किया जाए।
मजदूर-कानूनों का पालन सुनिश्चित किया जाए।
अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
प्रशासन की चुप्पी से नाराज कर्मचारी
भूख हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उन्हें उनका वेतन नहीं मिलेगा, वे अपने आंदोलन को और आक्रामक बनाएंगे। अब देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे का हल कब तक निकालता है?
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