बाबूशाही विशेष: लाल परी का चमत्कार: बठिंडा वालों ने सरकारी खजाने को किया मालोमाल
अशोक वर्मा
बठिंडा, 21 मार्च, 2025: 'सूर्योदय होते ही शराबी पत्थरबाजी और मारपीट शुरू कर देते हैं।' सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि आम लोग भी शराबियों की गंदी भाषा से दूर रहते हैं। बेहतर होता कि कोई अनुबंध ही न होता, लेकिन चार दिन तो आसानी से बीत जाते। यह उन दुर्व्यवहारों का संदर्भ है जो अक्सर समाज में शराबियों से नाखुश लोगों द्वारा किये जाते हैं। इसका कारण यह है कि बठिंडा जिले में जहां भी पानी उपलब्ध है, वहां शराब आम तौर पर पाई जाती है। अब बठिंडा के लोगों पर सरकारी लाल परी का जुनून चढ़ने लगा है। सरकार हर साल दस प्रतिशत राजस्व बढ़ा रही है, जो पांच साल में दोगुना हो गया है। तथ्य इस बात के प्रमाण हैं कि पिछले पांच सालों में बठिंडा जिले में शराब की खपत 214 प्रतिशत बढ़ी है।
ये तथ्य देशी शराब के हैं, जबकि विदेशी शराब की खपत चार साल में ‘1008’ प्रतिशत बढ़ी है। इसी प्रकार अंग्रेजी शराब की खपत में 535 प्रतिशत, बीयर की बिक्री में 236 प्रतिशत तथा बीयर की खपत में 144 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2020-21 के दौरान शराब की दुकानों की संख्या 351 थी, जो पांच साल बाद बढ़कर 380 हो गई। जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान बठिंडा जिले में 1 करोड़ 36 लाख 28 हजार 288 बोतल शराब की खपत हुई, जो वर्ष 2024-25 तक बढ़कर 2 करोड़ 91 लाख 68 हजार 734 बोतल हो गई। आश्चर्य की बात यह है कि आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले दो वर्षों में अंग्रेजी और विदेशी शराब पीने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है।
वर्ष 2023-24 की तुलना में वर्ष 2024-25 में अंग्रेजी शराब की खपत में 198.59 प्रतिशत तथा विदेशी शराब की खपत में 186.76 प्रतिशत की वृद्धि होगी। दिलचस्प तथ्य यह है कि देशी शराब की खपत हर साल 20 प्रतिशत बढ़ रही है, जबकि बीयर की खपत हर साल 25 प्रतिशत बढ़ रही है। आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि वर्ष 2021-22 के दौरान बठिंडा जिले में 1 करोड़ 59 लाख 61 हजार 299 बोतलों की खपत हुई, जो अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 में बढ़कर 2 करोड़ 24 लाख 46 हजार 137 बोतलें हो गई। वर्ष 2023-24 के दौरान 2 करोड़ 23 लाख 5 हजार 781 बोतलों की खपत हुई, जो वर्ष 2024-25 के दौरान बढ़कर 2 करोड़ 91 लाख 68 हजार 734 हो गई। ये आंकड़े बताते हैं कि सरकार की लाल परी का जादू लोगों पर सर चढ़कर बोलने लगा है। समाजसेवी साधु राम कुसला ने कहा कि पंजाब सरकार भी अपने कार्यक्रम 'युद्ध विरुद्ध नशे' के तहत नशे के खिलाफ जंग लड़ रही है और शराब को भी बढ़ावा दिया जा रहा है
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उन्होंने कहा कि शराब के लिए ऐसी सुविधाएं उपलब्ध कराना पंजाब सरकार का दोहरा चेहरा दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार नशे के खिलाफ लड़ाई के तहत शराब की दुकानें बंद करने की पहल करे तो स्वस्थ समाज के निर्माण की दिशा में आसानी से आगे बढ़ा जा सकता है।
शराब से लोगों को पुरस्कृत कर रही सरकारें
युवा कल्याण सोसायटी के अध्यक्ष सोनू माहेश्वरी ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा होनी चाहिए, लेकिन दुख की बात है कि लोगों को शराब से पुरस्कृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उन महिलाओं को और भी अधिक परेशानी होती है जिन्हें अपने पतियों का सामना करना पड़ता है जो नशे में और परेशान होकर घर आते हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है, जहां शराबियों द्वारा गाली-गलौज के कारण झगड़े और बहस आम बात है।
आम आदमी नागरिक जागरूकता मंच के अध्यक्ष बग्गा सिंह ने कहा कि असलियत में आम आदमी अब सरकार की प्राथमिकता नहीं है । उन्होंने कहा कि अब हर नीति अमीरों के हित में बनायी जा रही है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि सामाजिक और आर्थिक नुकसान के बावजूद सरकारों ने शराब को कमाई का जरिया बना लिया है। उन्होंने कहा कि अधिकांश गांवों में पीने का ठंडा पानी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन ठंडी बीयर दिन-रात उपलब्ध रहती है।
केके
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