नेशनल फॉरेस्ट डे पर हकीकत का सामना: पर्यावरणविदों ने किया जंगलों का निरीक्षण
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 21 मार्च – नेशनल फॉरेस्ट डे के अवसर पर पर्यावरणविदों ने जंगलों की वास्तविक स्थिति को उजागर करने के लिए फॉरेस्ट एरिया का निरीक्षण किया। पर्यावरणविद् राहुल महाजन, प्रदीप त्रिवेणी और चंडीगढीयन ग्रुप की ओर से राज चढा ने मौके पर जाकर हकीकत से लोगों को रूबरू कराया। निरीक्षण के दौरान जंगलों के सिकुड़ते दायरे, बंजर होती जमीन और गंदे पानी के कारण सूखते पेड़ों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई गई।
"फॉरेस्ट डे से पहले, फॉरेस्ट को बचाना जरूरी" – राहुल महाजन
पर्यावरणविद् राहुल महाजन ने कहा कि अगर हमें फॉरेस्ट डे मनाना है, तो सबसे पहले जंगलों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा,
"जंगल सिर्फ पेड़ों का समूह नहीं, बल्कि ऑक्सीजन का भंडार, पक्षियों का घर, जड़ी-बूटियों का स्रोत और शहरों की सुंदरता का हिस्सा हैं। इनकी सुरक्षा केवल कागजों में नहीं, बल्कि धरातल पर होनी चाहिए।"
उन्होंने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से अपील की कि वे जंगलों के संरक्षण पर कागजी योजनाओं से आगे बढ़कर जमीनी स्तर पर काम करें।
"कागजों में नहीं, असल में जंगल बचाएं" – प्रदीप त्रिवेणी
पर्यावरणविद् प्रदीप त्रिवेणी ने कहा कि जंगलों की सुरक्षा के लिए जनता को वास्तविकता दिखाना जरूरी है। उन्होंने कहा,
"अगर हम केवल कागजों में हरियाली का दायरा बढ़ाते रहेंगे, तो लोगों की रुचि जंगल बचाने में खत्म हो जाएगी। समाज तभी आगे आएगा, जब उसे असली हालात पता होंगे।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज से जुड़े लोगों को भी इस मुहिम में जोड़ा जाए ताकि वन संरक्षण का कार्य सामूहिक प्रयास से संभव हो सके।
"गंदे पानी से हजारों पेड़ खत्म" – फॉरेस्ट एरिया की भयावह तस्वीर
निरीक्षण के दौरान एक गंभीर समस्या सामने आई। पंजाब के कुछ इलाकों में शिवरेज का गंदा पानी जंगलों में जमा होने के कारण हजारों पेड़ सूख चुके हैं और कई एकड़ जंगल खत्म हो चुका है। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि इस गंदे पानी को पाइपलाइन के जरिए अन्यत्र पहुंचाया जाए ताकि यह जंगलों और नवरोपित पौधों को नुकसान न पहुंचाए।
"पेड़ों के नाम से पहचाना जाता है चंडीगढ़" – राज चढा
चंडीगढीयन ग्रुप की ओर से राज चढा ने कहा,
"चंडीगढ़ की पहचान इसके पेड़ों और हरियाली से है। हम इस पहचान को मिटने नहीं देंगे और इसके संरक्षण के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे।"
उन्होंने वन विभाग और स्थानीय प्रशासन से अपील की कि जंगलों को बचाने के लिए ठोस नीति बनाई जाए और जनता को भी इस अभियान में जोड़ा जाए।
इस निरीक्षण ने यह स्पष्ट कर दिया कि जंगलों का वास्तविक हाल बेहद चिंताजनक है। अगर जंगलों को बचाने के लिए तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में गंभीर पर्यावरणीय संकट खड़ा हो सकता है। विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मांग है कि सरकार केवल कागजों में हरियाली न बढ़ाए, बल्कि असल में जंगलों को संरक्षित करने के लिए जमीनी कार्य करे।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →