विधायक के चुनाव के लिए नामांकन भरने वाले हर उम्मीदवार को आरओ के समक्ष लेनी होगी शपथ
अगर कोई शपथ नहीं लेना चाहता, तो उसके स्थान पर कर सकता है सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान -एडवोकेट हेमंत
भारतीय संविधान में 16वें संशोधन द्वारा वर्ष 1963 में तीसरी अनुसूची में डाला गया शपथ अथवा प्रतिज्ञान का प्ररूप
चंडीगढ़, 10 सितम्बर 2024 -- 15वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनाव 2024 के लिए हरियाणा की सभी 90 वि.स. सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक उम्मीदवारों द्वारा नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया गुरूवार 12 सितंबर दोपहर 3 बजे तक चलेगी। तत्पश्चात 13 सितंबर को बीते एक सप्ताह अर्थात 5 सितंबर से 12 सितंबर तक दायर सभी नामांकन फॉर्म की प्रासंगिक विधानसभा सीट/हलके हेतू पदांकित रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) अर्थात संबंधित क्षेत्र के उपमंडल अधिकारी- नागरिक ( एस.डी.एम.) अथवा जिला ए.डी.सी. अथवा अन्य जिला-स्तरीय सरकारी अधिकारी, जिसे आर.ओ. के तौर पर चुनाव आयोग द्वारा पदांकित किया गया हो, द्वारा जांच की जायेगी एवं 16 सितंबर सोमवार तक जो भावी उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ना चाहते है, वह अपनी नाम अर्थात उम्मीदवारी वापिस ले सकते है। नाम वापसी की समय सीमा समाप्त होने के बाद चुनाव लड़ने की फाइनल रेस में बचे सभी उम्मीदवारों को आर.ओ. द्वारा उनकी पार्टी का सिंबल (चिन्ह) अथवा अगर वो निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं, तो फ्री सिम्बल्स की सूची में से उपयुक्त चुनाव- चिन्ह अलाट कर दिया जाएगा।
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार ने बताया कि भले ऐसा सुनने और पढ़ने में आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु वास्तविकता यही है कि विधायक एवं सांसद का चुनाव निर्वाचित होने के बाद ही नहीं बल्कि इन पदों का चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवार को भी नामांकन फॉर्म दाखिल करते समय सम्बंधित रिटर्निंग ऑफिसर (आर.ओ.) के समक्ष शपथ लेना अनिवार्य होता है। हालांकि अगर नामांकन भरने वाला कोई उम्मीदवार, बेशक किसी कारण से, ईश्वर की शपथ नहीं लेना चाहता, तो वह इसके स्थान पर सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान भी कर सकता है. बहरहाल, ऐसी शपथ या प्रतिज्ञान हर प्रत्याशी को आर.ओ. के सामने खड़ा होकर लेनी पड़ती है
हेमंत ने यह रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 1963 में भारतीय संसद द्वारा देश के संविधान में किये गये 16वें संवैधानिक संशोधन मार्फ़त ऐसी शपथ या प्रतिज्ञान का प्रावधान किया गया था. संविधान का अनुच्छेद 173 (ए) प्रदेश विधानमंडल ( विधानसभा) की सदस्यता के लिए मूलभूत योग्यताएँ निर्धारित करता है जिसके सबसे प्रथम भाग में उल्लेख है कि कोई व्यक्ति विधानसभा की किसी स्थान ( सीट) की भरने के लिए चुने जाने के लिए तभी योग्य होगा जब वह भारत देश का नागरिक हो और निर्वाचन आयोग द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गये प्ररूप के अनुसार शपथ लेता है (या प्रतिज्ञान करता है) और उस पर अपने हस्ताक्षर करता है।
हेमंत ने देश के संविधान की तीसरी अनुसूची में इस सम्बन्ध में शामिल किये गये शपथ के प्ररूप के बारे में बताया कि उसमें उल्लेख है कि --- मैं , अमुक (उम्मीदवार का नाम), जो विधानसभा में स्थान भरने के लिए अभ्यर्थी (उम्मीदवार) के रूप में नामनिर्देशित हुआ हूँ ईश्वर की शपथ लेता हूँ (अथवा सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूँ) कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा और मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्ण रखूंगा।
इसी प्रकार की शपथ (या प्रतिज्ञान) विधायक के चुनाव के अतिरिक्त संसद के दोनों सदनों ( लोकसभा एवं राज्य सभा) के निर्वाचन हेतु नामांकन फॉर्म भरते समय भी आवश्यक है. हालांकि हेमंत ने बताया कि जहाँ तक पंचायती राज संस्थाओं ( ग्राम पंचायत, ब्लाक/पंचायत समिति और जिला परिषद) और शहरी स्थानीय निकाय (नगर पंचायत/समिति, नगर परिषद और नगर निगम) आदि के चुनाव लड़ने का विषय है, तो उनके लिए नामांकन करते समय उम्मीदवारों द्वारा उपरोक्त शपथ लेने की अनिवार्यता देश के संविधान में नहीं की गई है।
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