पंजाब विश्वविद्यालय का 72वां दीक्षांत समारोह
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया विद्यार्थियों को संबोधित, मेधावियों को किया सम्मानित
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 12 मार्च – पंजाब विश्वविद्यालय के 72वें दीक्षांत समारोह में बुधवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत की और विद्यार्थियों को प्रेरणादायक संबोधन दिया। इस अवसर पर उन्होंने विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक उपलब्धियों की सराहना की और विद्यार्थियों से राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 140 वर्षों में पंजाब विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हुआ है। इस विश्वविद्यालय ने शैक्षणिक, खेल, शोध और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि इस विश्वविद्यालय ने 17 बार मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ट्रॉफी जीती है। उन्होंने कहा कि यह इस विश्वविद्यालय के एथलीटों के समर्पण और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। इस विश्वविद्यालय के छात्र मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने 2024 पेरिस ओलंपिक में पदक जीतकर देश को बेहद गौरवान्वित किया है।
राष्ट्रपति ने शिक्षा-उद्योग संबंध को बढ़ावा देने के लिए पंजाब विश्वविद्यालय की सराहना की। उन्होंने विश्वविद्यालय के नीति निर्माताओं से विश्वविद्यालय-उद्योग संबंध और भविष्य की तैयारी पर अधिक काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विषय अनुप्रयोग-आधारित शिक्षा होने चाहिए। शिक्षा को छात्रों को उनकी जीवन यात्रा में सहायता करनी चाहिए। आने वाला समय चुनौतीपूर्ण होगा और प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ती रहेगी। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक छात्र के पास चुनौतियों का सामना करने के लिए सकारात्मक मानसिकता और उन्नत कौशल हो। उभरती प्रौद्योगिकियों का ज्ञान प्राप्त करना और उनका निरंतर विकास करना तथा उनका उचित उपयोग करने की क्षमता सफलता के लिए आवश्यक होगी।
राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि यह उनके लिए गर्व की बात है कि उन्हें इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का अवसर मिला। इस विश्वविद्यालय ने समाज को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और नोबेल पुरस्कार विजेताओं से लेकर विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी और उत्कृष्ट योगदान देने वाले कई महान व्यक्तित्व दिए हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से इस विरासत को आगे बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपने प्रयासों और दूरदर्शी सोच के माध्यम से अपने सपनों को साकार करते हुए समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए प्रभावी योगदान दे सकते हैं।
द्रौपदी मुर्मू भारत की छठी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया है। इससे पहले प्रणब मुखर्जी (2015), डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (2007), ज्ञानी जैल सिंह (1985), नीलम संजीव रेड्डी (1981) और डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1951) ने पंजाब विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया था।
विश्वविद्यालय की विभिन्न उपलब्धियों को सूचीबद्ध करते हुए कुलपति प्रो. रेणु विग ने विश्वविद्यालय की प्रभावशाली वैश्विक रैंकिंग का उल्लेख किया, जिसमें सेंटर फॉर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (CWUR) 2024 ने इसे दुनिया भर के शीर्ष 4% उच्च शिक्षा संस्थानों में रखा, भारत में 10वें और वैश्विक स्तर पर 823वें स्थान पर। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय की मजबूत अकादमिक स्थिति को उजागर करने के लिए यूएस न्यूज बेस्ट ग्लोबल यूनिवर्सिटीज (विश्व स्तर पर 737वें स्थान पर), क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (1001-1200) और टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड रैंकिंग (601-800) सहित प्रतिष्ठित रैंकिंग का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने पंजाब विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित श्रेणी I का दर्जा दिया है, जो A++ (3.68/4) के उल्लेखनीय NAAC स्कोर के साथ इसके शैक्षणिक गौरव को मान्यता देता है।
प्रो. विग ने बताया कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार यूनिवर्सिटी के 46 फैकल्टी सदस्यों को दुनिया के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि पंजाब यूनिवर्सिटी में वर्तमान में 224 शोध परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें विभिन्न एजेंसियों से कुल 104 करोड़ रुपये का वित्त पोषण किया गया है। उन्होंने ट्रांसलेशनल रिसर्च के लिए EYUVA, एंटरप्रेन्योरशिप इनक्यूबेशन के लिए बायोनेस्ट और पोस्ट-इनक्यूबेशन सहायता के लिए स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड स्कीम जैसी पहलों पर प्रकाश डाला।
श्रीमती मुर्मू ने पदक जीतने वाले विद्यार्थियों के साथ फोटो खिंचवाने का भी समय निकाला, जो भारत के राष्ट्रपति की उपस्थिति से बहुत खुश थे। उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों ने बहुत उत्साह के साथ भाग लिया।
प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉ. आर.जे. हंस-गिल और सामाजिक कार्यकर्ता निवेदिता रघुनाथ भिड़े को भारत के राष्ट्रपति द्वारा मानद उपाधि प्रदान की गई। डॉ. आर.जे. हंस-गिल को डॉक्टर ऑफ साइंस (ऑनोरिस कॉसा) की उपाधि दी गई, जबक निवेदिता रघुनाथ भिड़े को डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (ऑनोरिस कॉसा) की उपाधि दी गई।
पंजाब विश्वविद्यालय ने विज्ञान, साहित्य, उद्योग, खेल और कला के क्षेत्र में प्रतिष्ठित हस्तियों को भी सम्मानित किया। डॉ. गुरतेज सिंह संधू को विज्ञान रत्न, डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी को साहित्य रत्न , डॉ. पुशविंदर जीत सिंह को उद्योग रत्न , सुश्री मनु भाकर को खेल रत्न और डॉ. जसपिंदर नरूला को कला रत्न से सम्मानित किया गया । सुश्री मुर्मू ने अपने दीक्षांत भाषण में मनु भाकर का विशेष उल्लेख भी किया।
दीक्षांत समारोह में पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी, सम्बद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य, संकाय सदस्य, कर्मचारी, पूर्व छात्र तथा बड़ी संख्या में छात्रों के परिवार के सदस्य सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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