निजी स्कूलों की मनमानी: बढ़ती फीस और महंगी किताबों से अभिभावक परेशान
चुनिदा दुकानों से खरीदनी पड़ रही अभिभावकों को कॉपी व किताब
रमेश गोयत
चंडीगढ़/पंचकूला, 26 मार्च: नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही निजी स्कूलों की बढ़ती फीस और महंगी किताबों की समस्या फिर से चर्चा में आ गई है। अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल प्रशासन चुनिंदा दुकानों से महंगी किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए दबाव बना रहा है, जिससे उनकी जेब पर भारी बोझ पड़ रहा है।
स्कूलों की फीस में सालाना 10% तक बढ़ोतरी
हर साल अप्रैल आते ही निजी स्कूल ट्यूशन फीस में 5 से 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर देते हैं। इसके अलावा, वार्षिक शुल्क, स्मार्ट क्लास फीस, एक्टिविटी चार्ज और अन्य अनिवार्य शुल्क जोड़कर अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव बनाया जाता है।
सेक्टर-19 निवासी रंजीत सिंह ने कहा, "स्कूलों की फीस में हर साल बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन सुविधाएं वैसी की वैसी हैं। स्मार्ट क्लास और अन्य चार्ज के नाम पर बस पैसे वसूले जा रहे हैं।"
महंगी किताबें और यूनिफॉर्म: अभिभावकों के लिए नई मुसीबत
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल हर साल किताबों का नया सेट लागू कर देते हैं, जिससे पुराने छात्रों की किताबें किसी काम की नहीं रहतीं।
एक अभिभावक निधि गर्ग, जिनका बच्चा पांचवीं कक्षा में पढ़ता है, ने बताया, "स्कूल ने जिस दुकान से किताबें खरीदने के लिए कहा, वहां पूरे सेट की कीमत ₹5,400 थी, जबकि यही किताबें अन्य दुकानों पर सस्ते दामों पर उपलब्ध थीं।"
इसी तरह, सुधीर शर्मा ने कहा, "यूनिफॉर्म भी स्कूल द्वारा तय की गई दुकानों से ही खरीदनी पड़ती है, जहां कीमतें सामान्य बाजार से दोगुनी होती हैं।"
तय दुकानों पर ही किताबें और यूनिफॉर्म लेने की मजबूरी
सेक्टर-11 और सेक्टर-16 की कुछ दुकानों पर स्कूलों की मिलीभगत से अभिभावकों को मजबूर किया जा रहा है कि वे वहीं से किताबें और अन्य जरूरी सामान खरीदें।
तुलना:
कक्षा एनसीईआरटी किताबों की कीमत (₹) प्राइवेट पब्लिशर्स की कीमत (₹)
पहली 500 1500 - 3000
दूसरी 650 2000 - 3200
तीसरी 600 2500 - 3500
चौथी 650 3500 - 5300
पांचवीं 850 4000 - 6000
छठी 850 4500 - 6500
सातवीं 900 5000 - 6800
आठवीं 950 5500 - 7000
नौवीं 1050 5700 - 7300
दसवीं 1200 6000 - 7500
शिक्षा विभाग की चुप्पी पर सवाल
पंचकूला स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन के चेयरमैन भारत भूषण बंसल ने कहा, "शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकांश स्कूल इसका पालन नहीं कर रहे हैं। स्कूल अपनी मनमानी कर रहे हैं और शिक्षा विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है।"
अभिभावकों की मांग – प्रशासन करे हस्तक्षेप
अभिभावकों ने शिक्षा विभाग और प्रशासन से मांग की है कि:
फीस वृद्धि पर पारदर्शिता लाई जाए।
एनसीईआरटी की किताबें सभी कक्षाओं में अनिवार्य की जाएं।
अभिभावकों को अपनी पसंद की दुकान से किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने की आजादी दी जाए।
निजी स्कूलों को अनावश्यक शुल्क वसूलने से रोका जाए।
प्रशासन का क्या कहना है?
जिला शिक्षा अधिकारी सतपाल कौशिक ने कहा, "सभी स्कूलों को जल्द ही निर्देश जारी किए जाएंगे कि वे एनसीईआरटी की किताबों का ही पालन करें और अनावश्यक शुल्क न लगाएं। यदि कोई स्कूल नियमों का उल्लंघन करता पाया गया, तो कार्रवाई की जाएगी।
निजी स्कूलों की मनमानी के कारण मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए बच्चों की शिक्षा का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। यदि प्रशासन इस पर जल्द सख्त कदम नहीं उठाता, तो अभिभावकों के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन सकती है। अब देखने वाली बात होगी कि शिक्षा विभाग कब तक इस मुद्दे पर ठोस कार्रवाई करता है।
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