हरियाणा सरकार ने पेश किया "हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक, 2025"
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 28 मार्च: हरियाणा सरकार ने "हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक, 2025" को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य राज्य में बागवानी पौधशालाओं का आधुनिकरण और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना है। यह नया विधेयक हरियाणा पौधशालाएं अधिनियम, 1961 की जगह लेगा, जो अब तक केवल फलों के पौधों तक सीमित था।
क्या है नया विधेयक?
नए विधेयक में फलों के अलावा सब्जी, फूल, मसाले, सजावटी और औषधीय पौधों को भी शामिल किया गया है। हरियाणा में फिलहाल 62 पंजीकृत फल पौधशालाएं हैं, जबकि 600 से अधिक ऐसी पौधशालाएं हैं जो अन्य बागवानी पौधों का विक्रय कर रही हैं। ये पौधशालाएं अन्य राज्यों से पौधे मंगवाती हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता, वंशावली और कीट/रोग संक्रमण पर कोई नियंत्रण नहीं होता।
विधेयक का उद्देश्य:
बागवानी पौधों की गुणवत्ता सुधारना और उनकी वंशावली का रिकॉर्ड रखना।
फायटोसेनेटरी सर्टिफिकेट और ट्रैसेबिलिटी सिस्टम के जरिए कीट व रोग मुक्त पौधों की पहचान सुनिश्चित करना।
सभी बागवानी पौधशालाओं का पंजीकरण अनिवार्य करना ताकि किसानों को प्रमाणित पौध सामग्री उपलब्ध हो।
मुख्य प्रावधान:
अनुज्ञा (लाइसेंस) प्रणाली: सक्षम प्राधिकरण को नियमों के उल्लंघन पर लाइसेंस रद्द करने या निलंबित करने का अधिकार होगा।
पंजीकरण की अनिवार्यता: 6 महीने के भीतर सभी पौधशालाओं को पंजीकरण कराना होगा, जिससे वे सभी प्रकार के बागवानी पौधों की बिक्री कर सकें।
सख्त दंड और जुर्माने:
मौजूदा कानून में जुर्माना केवल 1,000 रुपये था, जबकि नए विधेयक में यह बढ़ाकर 1 लाख रुपये तक किया गया है।
न्यूनतम 1 दिन से अधिकतम 1 साल की सजा का प्रावधान जोड़ा गया है।
मुआवजा प्रावधान: यदि किसी किसान या ग्राहक को खराब या मिलावटी पौध सामग्री बेची जाती है, तो उसे मुआवजा मिलेगा।
बागवानी पौधों के मामले में: खेती की लागत के बराबर या दोगुना मुआवजा।
सजावटी पौधों के मामले में: खरीदी गई लागत का दोगुना मुआवजा।
नए नियम: विधेयक लागू होने के 1 महीने के भीतर नियम बनाए जाएंगे, जिनमें लाइसेंस और नवीनीकरण शुल्क बढ़ाने का भी प्रस्ताव है:
लाइसेंस फीस: ₹2,000 से बढ़ाकर ₹20,000
लाइसेंस वैधता: 3 साल से बढ़ाकर 5 साल
नवीनीकरण शुल्क: ₹500 से बढ़ाकर ₹5,000
डुप्लिकेट लाइसेंस शुल्क: ₹2 से बढ़ाकर ₹200
हरियाणा बागवानी पौधशाला विधेयक, 2025 राज्य में बागवानी पौधों की गुणवत्ता बढ़ाने और किसानों को बेहतर सेवाएं देने की दिशा में बड़ा कदम है। इससे कीट-मुक्त पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी, फर्जी पौधशालाओं पर रोक लगेगी और किसानों को प्रमाणित पौधे मिलेंगे।
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