राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने की'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गदर पार्टी और इंडिया होम रूल लीग की विरासत' को संग्रहालयों और प्रदर्शनियों में प्रदर्शित करने की मांग
राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने 'यंग इंडिया' और 'गदर' के पुनःप्रकाशन व नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए इनके डिजिटल संस्करण शुरू करने का दिया सुझाव
1955 से 2014 तक के 59 वर्षों में जहां केवल 13 पुरावशेष भारत को लौटाए गए, तो वहीं मोदी सरकार के 11 वर्षों में 642 से अधिक पुरावशेष भारत वापस लाए गए- केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत
हरजिंदर सिंह भट्टी
नई दिल्ली, 27 मार्चः संसद में चल रहे बजट सत्र के दौरान राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने केंद्र सरकार द्वारा अमेरिका और अन्य देशों से वापस लाई गई प्राचीन भारतीय वस्तुओं को प्रदर्शित करने के लिए बनाए जा रहे संग्रहालयों और प्रदर्शनी केंद्रों में भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली गदर पार्टी और इंडिया होम रूल लीग की विरासत को प्रदर्शित करने का मुद्दा उठाया।
बजट सत्र में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत से प्रश्न पूछते हुए राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू ने कहा कि क्या केंद्र सरकार यंग इंडिया और गदर जैसे ऐतिहासिक पत्रों को पुनः प्रकाशित करने और उनके डिजिटल संस्करणों के माध्यम से नई पीढ़ी को प्रेरित करने पर विचार कर रही है।
सांसद संधू ने कहा की भारत के गौरवशाली स्वतंत्रता संग्राम में इंडिया होम रूल लीग (आईएचआरएल) और गदर पार्टी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1916 में न्यूयॉर्क में लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित आईएचआरएल ने यंग इंडिया पत्रिका के माध्यम से स्वशासन, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय चेतना के बारे में जागरूकता फैलाने का काम किया। इसी तरह गदर पार्टी ने अपने अखबार गदर के माध्यम से पूरी दुनिया में ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांति की भावना जगाई।
अमेरिका से तस्करी कर देश से बाहर ले जाई गई 297 भारतीय पुरावशेषों की वापसी के बारे में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि 1970 में इंटरनेशनल कंवेंशन के आने के बावजूद 1955 से 2014 के बीच केवल 13 पुरावशेष वस्तुएं ही भारत लौट पाई लेकिन भारत की विरासत पर गर्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृढ़ संकल्प के कारण 2014 से अब तक लगभग 11 वर्षों की अवधि में देश के लिए महत्वपूर्ण 642 से अधिक पुरावशेष देश में वापस आ चुके हैं। जो निश्चित रूप से हम सभी के लिए गर्व की बात है। विदेशों से पुरातात्विक महत्व के किसी भी ऐसे पुरावशेष को भारत लाने की एक बहुत लंबी प्रक्रिया होती है, जिसमें हमें उसके उद्गम स्थल, ऐतिहासिक महत्व और ओरीजन को सिद्ध करना होता है। ओरीजन सिद्ध करने के बाद ही उसका इस तरह से प्रत्यावर्तन किया जा सकता है। उस प्रक्रिया को पूरा करने के बाद 297 वस्तुएं अमेरिका से भारत लाई गई हैं। उनकी वेरीफिकेशन और स्टेटस रिपोर्ट तैयार की जा रही है। एक बार उनका ओरीजन पूरी तरह से स्थापित हो जाने और पूरा अध्ययन हो जाने के बाद यह एक सामान्य प्रक्रिया है कि उन्हें राज्यों में स्थित संग्रहालयों में प्रदर्शन के लिए रखा जाता है।"
शेखावत ने कहा कि संसद परिसर में भी विदेश से लाई गई ऐसी 13 प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के नागरिकों में बढ़ती जागरूकता के कारण देश से तस्करी करके बाहर भेजी गई 297 भारतीय प्राचीन वस्तुएं वापस भारत लाई गई हैं।
शेखावत ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न देशों के साथ 72 ऐसी प्राचीन वस्तुओं को भारत को लौटाने की प्रक्रिया चल रही है, जिनमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड और सिंगापुर शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत ने अमेरिका-भारत सांस्कृतिक संपदा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य पुरावशेषों के अवैध व्यापार को रोकना, देश से तस्करी कर लाए गए भारतीय पुरावशेषों को वापस लाना है तथा विश्व के अन्य देशों के साथ भी समझौते करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
शेखावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय पुरावशेषों की तस्करी को रोकने के लिए 2024 में अमेरिका के साथ यह समझौता किया गया है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से निश्चित रूप से पुरावशेषों को अमेरिका से भारत वापस लाने में बहुत लाभ हुआ है, क्योंकि अमेरिका भारत में ऐसी संपत्तियों का सबसे बड़ा बाजार है और ऐसी पुरावशेषों का काला बाजार भी है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले भारतीय अधिकारियों को ऐसे मामलों में अमेरिका में कई एजेंसियों से निपटना पड़ता था, लेकिन अब इस प्रक्रिया में न्यूनतम बाधाएं आती हैं और सरकार अब ऐसी प्राचीन वस्तुओं को अधिक सुविधा के साथ भारत वापस ला सकती है।
kk
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