हरियाणा में नगर निकायों के नव-निर्वाचित पदाधिकारियों के पास सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने का विकल्प ही नहीं
प्रदेश के दोनों म्युनिसिपल कानूनों में केवल ईश्वर की शपथ लेने का ही उल्लेख
भारतीय संविधान अनुसार पदाधिकारियों को ईश्वर की शपथ लेने अथवा सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने का विकल्प प्राप्त -- एडवोकेट हेमंत
सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने गत वर्ष 2024 में सांसद के तौर पर ईश्वर की शपथ नहीं बल्कि सत्यनिष्ठा से किया था प्रतिज्ञान
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़,22 मार्च -- ऐसा पढ़ने और सुनने में बेशक आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु वास्तविक सत्य यही है कि हरियाणा के शहरी निकायों में नव-निर्वाचित पदाधिकारियों अर्थात नगर निगम / नगरपालिका परिषद / नगरपालिका समिति के प्रत्यक्ष (सीधे) निर्वाचित मेयर /अध्यक्ष और सदस्यों (पार्षद) को अपने पद का कार्यभार सँभालने से पहले ईश्वर की शपथ लेने या सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने इन दोनों में से किसी एक को चुनने का विकल्प प्राप्त नहीं है
इसी माह मार्च में हरियाणा प्रदेश की साढ़े तीन दर्जन शहरी निकायों (8 नगर निगमों, 4 नगरपालिका परिषदों एवं 21 नगरपालिका समितियों) के आम चुनाव और 2 नगर निगमों में महापौर (मेयर) पद के उपचुनाव, 1 नगरपालिका परिषद और 2 नगरपालिका समितियों के अध्यक्ष (प्रेसिडेंट) पद उपचुनाव और तीन नगरपालिका समितियों के 1-1 वार्ड के उपचुनाव के लिए, जिनके लिए गत 2 और 9 मार्च (पानीपत) को मतदान कराया गया था, में प्रत्यक्ष निर्वाचित न.नि मेयर और न.प./ न.पा. अध्यक्ष के अतिरिक्त कुल 647 वार्डों से संबंधित निकाय के वार्ड सदस्यों का निर्वाचन हुआ है जिनका अगले सप्ताह 25 मार्च को एक ही स्थान पर अर्थात पंचकूला के इंद्रधनुष स्टेडियम में शपथ-ग्रहण कार्यक्रम निर्धारित है.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट और म्युनिसिपल कानून के जानकार हेमंत कुमार ने एक रोचक परन्तु महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि हमारे देश भारत के संविधान के अनुसार देश के सर्वोच्च निर्वाचित पद अर्थात राष्ट्रपति पद और इसी प्रकार उप -राष्ट्रपति पद, प्रधानमंत्री/केंद्रीय मंत्री, प्रदेशों के मुख्यमंत्री/मंत्री आदि सभी संवैधानिक पदों पर निर्वाचित पदाधिकारियों के लिए जो शपथ का प्ररूप प्रस्तावित है, उसमें उन्हें यह विकल्प दिया जाता है कि वह चाहें जो ईश्वर के नाम से शपथ ( ओथ) ले सकते हैं अथवा अगर कोई इस प्रकार ईश्वर की शपथ नहीं लेना चाहता है, तो वह सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान (सोलेम्नी अफ्फिर्म) भी कर सकता है.
सनद रहे कि गत वर्ष जब सोनिया गांधी राजस्थान से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुईं थी और बाद में 18वीं लोकसभा आम चुनाव में राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से लोकसभा सांसद और प्रियंका गांधी वाड्रा केरल की वायनाड लोस चुनाव जीतकर लोकसभा सांसद बनी, इन तीनों ने सदन में अपना कार्यभार संभालने से पहले ईश्वर की शपथ लेने के स्थान पर सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान किया था. भारत के संविधान के तीसरी अनुसूची में दिए गये प्ररूप के अनुसार भारतीय संसद के हर नव-निर्वाचित सदस्य
को यह विकल्प दिया गया है कि अगर वह ईश्वर में आस्था रखने वाला अथवा आस्तिक है, तो वह ईश्वर के नाम से सांसद पद की शपथ ले सकता है अथवा अगर वह इस प्रकार ईश्वर की शपथ नहीं लेना चाहता है, तो वह सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान (सोलेम्नी अफ्फिर्म) भी कर सकता है
हालांकि जहाँ तक हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 जो प्रदेश की सभी नगर निगमों पर लागू होता है,
की वर्तमान धारा 33 (1) और हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973
जो प्रदेश की सभी नगरपालिका परिषदों और नगरपालिका समितियों पर लागू होता है,की मौजूदा धारा 24 (1 ) में दिए गए शपथ के प्रारूप का विषय है, तो उसमें केवल ईश्वर के नाम पर ही शपथ लेने का उल्लेख है. हालांकि वर्ष 2019 में किये गए कानूनी संशोधन से पूर्व वर्ष 1973 म्यूनिसिपल कानून की तत्कालीन धारा 24(1) में ईश्वर की शपथ के स्थान पर सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने का भी उल्लेख मौजूद था.
बहरहाल, इसी के दृष्टिगत
हेमंत ने हरियाणा के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शहरी स्थानीय निकाय मंत्री, विभाग के आयुक्त एवं सचिव, विभाग के महानिदेशक आदि से हरियाणा म्युनिसिपल कानून, 1973 की धारा 24(1) और हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 33(1) में उपयुक्त संशोधन करवाकर ईश्वर के नाम से शपथ लेने अथवा उसके स्थान पर सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करने हेतु उपयुक्त उल्लेख करने की अपील की है.
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