सिरसा थेहड़ को लेकर कुमारी सैलजा ने केंद्रीय पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री के जवाब पर जताई आपत्ति
कहा-जब केंद्र के पास कोई प्लान नहीं था, कोई बजट नहीं था तो 713 परिवारों को क्यों उजाड़ा गया
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 25 मार्च। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा के थेहड़ को लेकर पूछे गए सवाल पर केंद्रीय पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के जवाब पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि जब सरकार के पास कोई प्लानिंग नहीं थी और कोई बजट नहीं था तो वहां से 713 परिवारों को क्यों उजाड़ा गया। प्रदेश सरकार ने इन परिवारों को वहां से हटाते हुए हुडा सेक्टर-19 के आवासों में अस्थायी रूप से बसाते हुए आश्वासन दिया था कि उन्हें रहने के लिए भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी पर पिछले नौ साल से इन परिवारों को कुछ भी नहीं मिला बल्कि नौ साल से बुनियादी सुविधाओं के अभाव में नरक जैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कुमारी सैलजा ने मांग की है कि जिस जगह को खाली कराया है उसे विकसित किया जाए और वहां से हटाए गए परिवारों से किए गए वायदे को पूरा किया जाए।
सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा के थेहड़ को लेकर केंद्रीय पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से कुछ जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब केंद्रीय मंत्री ने लोकसभा में कार्यवाही के दौरान 23 मार्च को दिया। पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री ने जवाब में कहा कि सिरसा थेहड को पुरातत्व विभाग ने 1932 में सूचीबद्ध किया था जो 85.5 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। पुरातत्व विभाग ने इस भूमि को खाली कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। बाद में राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में 713 परिवारों को वहां से हटाकर 32 एकड़ भूमि को खाली करा लिया और वहां पर जो कुछ निर्माण था उसे ध्वस्त कर दिया गया। वहां पर बसे परिवारों को आश्वासन दिया गया था कि उन्हें रहने के लिए भूमि दी जाएगी, हुडा सेक्टर 19 के आवासों में अस्थायी रूप से रह रहे परिवारों को आज तक कुछ भी नहीं मिला है और नरक जैैसी स्थिति भोग रहे हैं।
कुमारी सैलजा ने पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री से पूछा था कि सिरसा थेहड को खाली कराने के लिए क्या कोई प्लान तैयार किया गया था और भूमि पर विकसित करने का कोई प्लान था जिसके जवाब में कहा गया कि इसका पुरातत्व अस्तित्व बनाने के लिए कोई प्लान नहीं था न ही कोई धनराशि थी और न ही कोई बजट आवंटित किया गया था, अगर केेंद्र सरकार इसके लिए कोई बजट आवंटित करती है तो इस भूमि को विकसित किया जा सकता है।
कुमारी सैलजा ने केंद्र से मांग की है कि सिरसा थेहड की सीमा का पुन: निर्धारण कराया जाए क्योंकि पुरातत्व विभाग जिस 85 एकड़ भूमि को अपना बता रहा है उसकी कोई सीमा नहीं है। जो भूमि खाली कराई गई है उसे विकसित कराया जाए। सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि 85.5 एकड़ में एक अधिकतर भूमि ऐसी है जिस पर पिछले कई दशकों से हजारों परिवार रह रहे है जिनके पास भूमि की रजिस्टरी भी है अगर भूमि पुरातत्व विभाग की बताई जा रही है तो उसकी रजिस्टरी कैसे हुई। कुमारी सैलजा ने मांग की है कि खाली कराई गई भूमि को विकसित किया जाए और जिन परिवारों को थेहड़ से हटाया गया था उन सभी के स्थायी आवास का प्रबंध किया जाए।
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