चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के छात्रों के स्टेम सेल डोनेशन से कैंसर रोगियों को मिला नया जीवन
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के 1210 छात्रों ने बल्ड कैंसर रोगियों की जान बचाने के लिए स्टेम सेल डोनेट करने का लिया संकल्प
कैंसर रोगियों के जीवन को बचाने के लिए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी दात्री फाउंडेशन के साथ मिलकर कर रही काम
समाज सेवा की भावना पैदा कर छात्रों का समग्र विकास चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की कार्य नीति का अभिन्न अंग : राज्यसभा सांसद और सीयू चांसलर सतनाम सिंह, संधू
एनईपी लक्ष्यों के अनुरूप चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी छात्रों के सर्वांगीण विकास को दे रही बढ़ावा
हरजिंदर सिंह भट्टी
उच्च शिक्षा के तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक परिदृश्य में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी न सिर्फ उच्च गुणवत्ता और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी शिक्षा प्रदान करने में उत्कृष्टता प्राप्त कर नए मील के पत्थर स्थापित कर रही है, बल्कि अपने विद्यार्थियों में निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करने की भावना पैदा करके उनके समग्र विकास को भी सुनिश्चित कर रहा है।
अपनी शैक्षणिक या कैरियर संबंधी गतिविधियों से आगे बढ़कर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के 1210 छात्रों ने पिछले 7 वर्षों में दात्री फाउंडेशन के साथ पंजीकरण करके अपने स्टेम सेल दान करने की इच्छा जताई है। दरअसल चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी भारत की सबसे बड़ी बल्ड स्टेम सेल डोनर रजिस्ट्री और एक गैर-लाभकारी संस्था दात्री के साथ मिलकर काम कर रही है, जो बल्ड कैंसर, थैलेसीमिया, ल्यूकेमिया, अप्लास्टिक एनीमिया, सिकल सेल एनीमिया जैसे जानलेवा विकारों से पीड़ित लोगों के जीवन को बचाने के लिए काम कर रहा है। मानवता के प्रति निस्वार्थ सेवा का एक उदाहरण स्थापित करते हुए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के पांच छात्रों ने पांच बल्ड कैंसर रोगियों को नया जीवन दिया है, जब छात्रों के स्टेम सेल रोगियों के साथ मैच हो गए तो उन्होंने अपने स्टेम सेल बल्ड कैंसर रोगियों को डोनेट कर दिए, इलाज के बाद ये मरीज अब स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
हर साल औसतन एक लाख से ज़्यादा लोग ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया और अप्लास्टिक एनीमिया जैसी बीमारियों से पीड़ित पाए जाते हैं। इनमें से बहुत से रोगियों के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट ही इलाज की एकमात्र उम्मीद है।
हालांकी कैंसर रोगियों के पास कीमोथेरेपी और रेडिएशन सेशन से गुजरने का विकल्प भी होता है, लेकिन ये इलाज अक्सर उनके लिए एक अस्थायी उपाय के रूप में काम करते हैं, लेकिन स्टेम सेल ट्रांसप्लांट उन मामलों में सहायक होता है जहां इन घातक रोगों के दोबारा होने का जोखिम अधिक होता है।
इसी के चलते चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के पांच छात्रों अभिजीत पुंधीर, रित्विक सिंह, अरविंद कुमार, आयुष रंजन और हर्ष सैनी ने पांच बल्ड कैंसर रोगियों की जान बचाने के लिए अपने स्टेम सेल दान किए हैं।
जरूरतमंदों की सेवा ही मानवता की सच्ची सेवा है: स्टेम सेल डोनर
स्टेम सेल डोनर में से एक अरविंद कुमार, जो चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज के एमए (द्वितीय वर्ष) के छात्र व पंजाब के मानसा जिले के सरदूलगढ़ गांव के निवासी है, ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, की “चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में वर्ष 2023 में आयोजित एक सप्ताह के एनएसएस शिविर में भाग लेने के दौरान समाज सेवी संस्था दात्री की सदस्य अनुराधा टंडन ने हमें बल्ड डोनेशन और स्टेम सेल डोनेशन के महत्व के बारे में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि अपने स्वस्थ स्टेम सेल को दान करके हम बल्ड कैंसर, रेड बल्ड सेल्स, प्लेटलेट्स और वह्इट बल्ड सेल्स जैसी बीमारियों से पीड़ित रोगियों की जान बचा सकते हैं। मैं उनसे प्रेरित हुआ और शिविर के दौरान मैंने और 100 अन्य छात्रों ने बल्ड डोनेशन के साथ-साथ स्टेम सेल दान करने के लिए अपना नाम दर्ज कराया।”
कुमार, जिनके पिता ट्रैक्टर मैकेनिक और माँ गृहिणी हैं ने बताया की, "स्टेम सेल ट्रांसप्लांट की लागत लगभग 15 से 25 लाख रुपये है और यह तभी सफल हो सकता है जब डोनर का ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (एचएलए) रोगी से मेल खाता हो। रोगों के खिलाफ शरीर के इम्यून सिस्टम में एचएलए नामक एक प्रोटीन होता है, जो शरीर से संबंधित कोशिकाओं को उन कोशिकाओं से अलग करता है जो शरीर से संबंधित नहीं हैं। क्योंकी एचएलए हम सभी को विरासत में मिलता है, इसलिए सही डोनर मैच मिलने की संभावना परिवार की बल्ड लाइन में बाहर के किसी व्यक्ति की तुलना में अधिक होती है।
यह बहुत ही असामान्य बात है जब किसी डोनर के स्टेम सेल ब्लड कैंसर के मरीज से मैच करते हैं और औसतन एक मरीज के स्टेम सेल के लिए 2 लाख से ज्यादा डोनर की स्क्रीनिंग की जाती है जिसके बाद स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन के लिए उपयुक्त मैच मिलता है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन के बाद बीमारी से पीड़ित मरीज के बचने की 60 से 70 फीसदी संभावना होती है। अगर किसी मरीज में बेमेल स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, तो उसकी मौत का खतरा रहता है। स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन एक लंबी प्रक्रिया है जो उपचार शुरू होने के पहले कई मेडिकल टेस्ट से शुरू होती है। अरविंद का स्टेम सेल ब्लड कैंसर (एप्लास्टिक एनीमिया) से पीड़ित 8 साल के बच्चे से मैच हुए। बच्चा अब पूरी तरह ठीक हो गया है और स्वस्थ जीवन जी रहा है।”
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्र और स्टेम सेल डोनर हर्ष सैनी ने कहा, "मैं एक एनएसएस वॉलंटियर हूं और मेरे माता-पिता डॉक्टर हैं। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी कैंपस में दात्री फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कैंप के दौरान मुझे स्टेम सेल डोनेशन के लिए प्रेरणा मिली। मैंने अपने ब्लड सैंपल और लार्वा की जांच कराई और स्टेम सेल दान करने के लिए पंजीकरण कराया। फरवरी 2025 में मुझे पता चला कि मेरे स्टेम सेल एक 12 वर्षीय ब्लड कैंसर रोगी से मेल खाते हैं, इसलिए सभी मेडिकल प्रक्रियाओं के बाद मैंने उस बच्चे को स्टेम सेल डोनेट किए जिससे उसकी हालत में सुधार हुआ है लेकिन उसका अभी भी इलाज चल रहा है।"
इसी तरह मध्य प्रदेश स्थित जबलपुर जिले के मूल निवासी व चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के छात्र आयुष रंजन ने कहा की, "जरूरतमंदों की सेवा ही मानवता की सच्ची सेवा है। बचपन से ही मेरे अंदर समाज सेवा के प्रति गहरी रुचि थी। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान मैं चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में एनएसएस में शामिल हो गया। मेडिकल जांच के बाद मेरे स्टेम सेल ब्लड कैंसर से पीड़ित एक बच्चे से मैच हो गए, जिसके बाद मैंने मेडिकल प्रक्रिया से गुजरने के बाद अक्टूबर 2024 में स्टेम सेल दान किए।"
हम सभी को ऐसे जरूरतमंद मरीजों के लिए आगे आना चाहिए और स्टेम सेल दान करने के लिए खुद को पंजीकृत कराना चाहिए जिससे कैंसर जैसी घातक बीमारी से पीड़ित मरीजों की जान बचाई जा सके। स्टेम सेल डोनेशन किसी को नई जिंदगी देने जैसा है।”
राज्यसभा सांसद और चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सतनाम सिंह संधू ने कहा की, “केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों के अनुरूप, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने और उन्हें अच्छा इंसान बनाने की संस्कृति का पोषण किया है, जो अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने और अपने चुने हुए करियर की ओर कदम बढ़ाने के साथ ही समाज में भी योगदान देते हैं। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के 1210 छात्रों के साथ कैंसर रोगियों की जान बचाने के लिए अपने स्टेम सेल दान करने वाले ये पांच छात्र, यहां के विद्यार्थियों में विकसित मूल्यों का सच्चा प्रमाण हैं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के अलावा, हम अपने छात्रों को सामज में योगदान करने के लिए भी प्रेरित करते रहे हैं और पिछले कुछ वर्षों में परोपकार चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की कार्य नीति का एक अभिन्न अंग बन गया है।”
kk
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