ट्राइसिटी में स्कूलों और बुक सेलरों की मिलीभगत: अभिभावकों की जेब पर बोझ बढ़ाने की तैयारी
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 10 मार्च।
ट्राइसिटी में हर साल की तरह इस बार भी निजी स्कूलों और बुक सेलरों की मिलीभगत सामने आई है, जिससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है। स्कूलों और बुक दुकानदारों के बीच मोटी डील के तहत, स्कूलों में दाखिले के समय ही अभिभावकों को विशेष दुकानों के विजिटिंग कार्ड थमाए जा रहे हैं, जहां से उन्हें किताबें और स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
बुक और ड्रेस खरीदने में सख्ती, मनमाने दाम वसूले जा रहे
स्कूलों द्वारा सुझाए गए दुकानों से ही किताबें खरीदने की अनिवार्यता के चलते अभिभावकों को महंगे दामों पर स्टेशनरी और कॉपियां खरीदनी पड़ रही हैं। कई मामलों में, एनसीईआरटी और सीबीएसई की किताबों के स्थान पर निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें लगवाई जा रही हैं, जिससे दुकानदार अधिक लाभ कमा रहे हैं।
पिछले वर्ष चंडीगढ़ प्रशासन के टैक्स विभाग ने कई बुक शॉप्स पर छापा मारकर अनियमितताओं की जांच की थी। इसके बावजूद इस साल भी वही खेल दोहराया जा रहा है।
अभिभावकों की शिकायत: पूरी किताबों का बंडल खरीदने की मजबूरी
चंडीगढ़ निवासी राहुल, प्रदीप व आरके गर्ग ने बताया कि एक ही दुकान से किताबें मिलने का मतलब है कि स्कूलों और दुकानदारों के बीच सेटिंग पहले ही हो चुकी है। दुकानों पर न केवल किताबें बल्कि पूरा स्टेशनरी पैकेज – कवर, पेंसिल, रबर, लेमिनेशन, स्केच कलर, फेविकोल और कॉपियां – महंगे दामों पर बेची जा रही हैं। कई अभिभावकों का आरोप है कि स्कूल हर साल सिलेबस बदल देते हैं, जिससे पुरानी किताबों का उपयोग नहीं हो पाता और उन्हें नए बंडल खरीदने पड़ते हैं।
प्रशासन को पत्र, समस्या के समाधान की मांग
सेक्टर-26 रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान कृष्ण लाल ने चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया और मुख्यसचिव चंडीगढ़ यूटी को पत्र लिखकर इस गंभीर समस्या से अवगत कराया है। उन्होंने मांग की है कि स्कूलों की किताबों का सिलेबस कम से कम तीन साल तक न बदला जाए और सरकारी स्कूलों की तरह प्राइवेट स्कूलों में भी किताबों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
शिक्षा विभाग का बयान: अभिभावकों को स्वतंत्रता, स्कूलों पर होगी कार्रवाई
इस मामले पर चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि कोई भी स्कूल अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से किताबें और वर्दी खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। यदि कोई स्कूल इस तरह की सख्ती करता है, तो अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी को शिकायत दर्ज कर सकते हैं। स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे किताबों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की सूची अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करें ताकि अभिभावक अपनी सुविधा के अनुसार खरीदारी कर सकें।
अभिभावकों की अपील: शिक्षा विभाग को कड़ाई से लागू करने होंगे नियम
अभिभावकों ने मांग की है कि प्रशासन इस मामले में सख्त कार्रवाई करे और सुनिश्चित करे कि सभी स्कूलों की किताबें सरकारी स्कूलों की तरह आसानी से उपलब्ध हों। इस खेल को रोकने के लिए प्रभावी निगरानी की जरूरत है ताकि हर साल अभिभावकों को इस आर्थिक बोझ का सामना न करना पड़े।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →