सिरसा थेहड़ को लेकर सांसद सैलजा ने केंद्रीय मंत्री पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री को लिखा पत्र
पूछा-सर्वे में पुुरातत्व विभाग की 35 एकड़ भूमि निकली तो बाद में 85.5 एकड़ कैसे हो गई?
कहा-पुरातत्व विभाग की कुल कितनी भूमि संरक्षित है, पुन: सर्वे करवाया जाए
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 27 मार्च। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने सिरसा थेहड़ (माउंड साइट) को लेकर केंद्रीय मंत्री पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि इस थेहड़ के सही क्षेत्रफल के लिए फिर से सर्वे करवाया जाए क्योंकि जिस क्षेत्र पर पुरातत्व विभाग दावा कर रहा था वह कब्जा मुक्त करवाकर पुरात्व विभाग को सौंप दिया गया है। इस भूमि का गलत आंकलन करने से थेहड़ के आसपास रह रहे लोगों पर बेघर होने की तलवार लटकी हुई है। साथ ही गलत रिपोर्ट देने वालों पर भी कार्रवाई की जाए ताकि उनकी गलती से लोगों को मानसिक परेशानी से जूझना न पड़े।
कुमारी सैलजा ने केंद्रीय मंत्री पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि उनके संसदीय क्षेत्र के सिरसा नगर में प्राचीन थेहड़ है, जो पुरातत्व विभाग 85.5 एकड़ क्षेत्र पर दावा कर रहा है जो आधिकारिक राजपत्र अधिसूचना में अधिसूचित नहीं है, जिसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संरक्षित स्मारक होने के नाते कथित अनधिकृत कब्जाधारियों को हटाने के लिए उच्च न्यायालय में संघर्ष कर रहा है। प्रारंभ में, साइट का कोई सीमांकन नहीं था और समय बीतने के बाद, जिला प्रशासन, सिरसा के माध्यम से सीमांकन करवाया गया, जिसके परिणामस्वरूप निष्कर्ष निकला और 85.5 का आंकड़ा बताया और तय किया गया। पहले हरियाणा राज्य सरकार ने उक्त साइट को डी-नोटिफाई किया था और जिसकी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी गई थी लेकिन दुर्भाग्य से इसे माननीय न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया। राज्य सरकार द्वारा इसकी डी-नोटिफिकेशन से पहले, एक उचित प्रक्रिया अपनाई गई थी जिसमें कानूनी प्रक्रिया, विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट, जनता की मंशा आदि को ध्यान में रखते हुए इसे गैर-अधिसूचित करने का निर्णय लिया गया। अब भी वही स्थिति बनी हुई है। एएसआई द्वारा इस पर कोई खुदाई नहीं की जा रही है। एएसआई के खाली होने के बाद खाली किए गए और कब्जे वाले क्षेत्र में पहले खुदाई करने की आवश्यकता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वहां संरक्षित करने लायक कुछ है, उसके बाद जनता के व्यापक हित में कोई निर्णय लिया जा सकता है।
वर्ष 2017 में प्रशासन ने ऊंचाई पर बसे थेहड़ जिसका क्षेत्र 35 एकड़ था खाली करवाकर परिवारों को अस्थायी रूप से अन्य स्थान पर बसा दिया गया और थेहड़ पर हुए निर्माण कार्य को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया। बाकी 50 एकड़ भूमि को खाली कराने के लिए कहा गया। इस भूमि क्षेत्र में नगर परिषद के 06 वार्ड आते है करीब 05 हजार मकान है और 20-25 हजार लोग रहते हैं। इस थेहड की कितनी भूमि है शायद इसकी सही जानकारी न तो प्रशासन के पास है और न ही पुरातत्व विभाग के पास। पुरातत्व विभाग की कुल कितनी भूमि है जो संरक्षित की गई थी इसके लिए फिर से सर्वे करवाए जाने की जरूरत है। इस सर्वे टीमें में पुरातत्व विभाग के अधिकारी, प्रदेश सरकार के अधिकारी और स्थानीय इतिहास के जानकारों को शामिल किया जाए ताकि भूमि के क्षेत्रफल की वास्तविकता सामने आ सके क्योंकि जिस 50 एकड़ भूमि को पुरातत्व विभाग का बताया जा रहा है दस पर पिछले 50-55 सालों से लोग रह रहे है और उनके पास भूमि की रजिस्टरी भी है। साथ ही यह भी कहना है कि जिस भूमि को खाली करवाया गया है उसे विकसित कर वहां पर पर्यटन स्थल या संग्रहालय बनाया जा सकता है। कुमारी सैलजा ने अनुरोध है कि इस भूमि का सर्वे करवाकर जनता के सामने सच्चाई लाई जाए कि पुरातत्व विभाग की कितनी भूमि है।
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सर्वे में पुुरातत्व विभाग की 35 एकड़ भूमि तो बाद में 85.5 एकड़ कैसे हो गई
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि थेहड़ की भूमि को लेकर आज तक तय नहीं हो पाया कि उसकी कितनी भूमि है। वर्ष 2009 में इस भूमि का सही क्षेत्रफल जानने के लिए सर्वे करवाने को लेकर एक टीम का गठन प्रशासन की ओर से किया गया, जिसमें पुरातत्व विभाग की ओर से अजायब सिंह, राजस्व विभाग की ओर से पटवारी, नायब तहसीलदार, तहसीलदार आदि शामिल थे। इस टीम ने एक संयुक्त रिपोर्ट उपायु़क्त सिरसा को सौंपी जिसमें रिपोर्ट निशानदेही, सर्वे सूची, नजरिया नक्शा और सर्वे नक्शा संलग्र किया गया था। जिस पुरातत्व विभाग की 35 एकड़ भूमि बताई गई जिसे 2017 में खाली करवा लिया गया अब केंद्रीय मंत्री पर्यटन और कला संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दिए गए जवाब में कुल भूमि 85.5 एकड़ बताई जा रही है। ऐसे में पुरातत्व विभाग की भूमि 50 एकड़ कैसे बढ़ गई, इसके लिए पुन: सर्वे करवाया जाए।
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