भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी पर लगाया प्रदेश को कर्जे में डुबोने का आरोप
पूछा- कर्ज पर श्वेत पत्र जारी करने से क्यों भाग रही है बीजेपी सरकार?
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 27 मार्च । पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि बीजेपी सरकार ने प्रदेश को पूरी तरह कर्जे में डुबो दिया है। इसीलिए बार-बार मांग के बावजूद सरकार श्वेत पत्र जारी करने से भाग रही है। क्योंकि श्वेत पत्र सामने आया तो सरकार के सारे फर्जी आंकड़े और दावे धराशायी हो जाएंगे। बीजेपी ने प्रदेश पर 5,16,007 करोड़ का कर्जा चढ़ा दिया है। 1966 से लेकर 2013-14 तक प्रदेश पर मात्र 60,000 करोड रुपए का कर्ज था। लकिन आज केवल आंतरिक कर्ज बढ़कर 3,52,819 हो चुका है। अगर कुल कर्ज की बात की जाए तो 48,000 करोड़ स्माल सेविंग, 68,995 करोड़ पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज और 46193 करोड़ की अन्य लायबिलिटी व पेंडिंग बिल इत्यादि मिलाकर यह 5,16,007 करोड़ रुपए हो चुका है। सरकार विपक्ष के विधायकों के सवालों का जवाब पर भी गुमराह करती नज़र आई । बजट में सरकार का कोई विज़न नही दिखा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा में 1 नई हेल्थ यूनिवर्सिटी, 6 नए मेडिकल कॉलेज, एम्स-2 और नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट बना। एक केंद्रीय विश्वविद्यालय, 12 सरकारी विश्वविद्यालय, 154 नए पॉलिटेक्निक कॉलेज, 56 नए आईटीआई, 4 नए सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज, कई सैनिक स्कूल स्थापित हुए। साथ ही 6 नई आईएमटी बनीं और 5 पावर प्लांट लगे। 81 किलीमीटर मेट्रो और कई किलोमीटर रेलवे लाइन बिछी। इतना ही नहीं कांग्रेस सरकार ने 1600 करोड़ रुपये के बिजली बिल और किसानों के 2200 करोड़ के कर्जे माफ किए। साथ ही 4 लाख गरीब परिवारों को 100-100 ग़ज़ के मुफ्त प्लॉट और 20 लाख गरीब, दलित व पिछड़े वर्ग के बच्चों को वजीफा दिया गया। साथ ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने ही किसानों को देश में सबसे ज्यादा फसलों का रेट, किसानों को सबसे सस्ती बिजली, ज़ीरो ब्याज पर लोन, बुजुर्गों को सबसे ज्यादा पेंशन और सबसे ज्यादा मनरेगा मजदूरी दी। बावजूद इसके कर्ज का आंकड़ा 60 हजार करोड़ से तक ही सीमित रखा।
लेकिन 2014 में बीजेपी ने सरकार बनाते ही कई कल्याणकारी योजनाओं को बद कर दिया। बीजेपी ने गरीबों के 100-100 ग़ज़ के प्लॉट की स्कीम बंद कर दी। साथ ही डिपो से ग़रीबों को मिलने वाली दाल, तेल, चीनी, नमक, मिट्टी का तेल देना बंद कर दिया। गैस सिलेंडर पर सब्सिडी बंद कर दी गई। पेट्रोल-डीज़ल पर वैट दोगुना कर दिया। स्कूलीं बच्चों का वजीफ़ा बंद कर दिया गया। मेडिकल कॉलेजों की फीस को 40 गुना बढ़ा दिया, सरकारी स्कूलों पर ताले जड़ दिए, यूनिवर्सिटीज़ को फंड देना बंद कर दिया और पक्की नौकरियों की बजाए कौशल निगम की कच्ची नौकरियां शुरू कर दी। राज्य सरकार के रोड बनाना बंद कर दिया और सारी सड़कों को नेशनल हाईवे ऑथोरिटी को सौंप दिया, जहां प्राइवेट पार्टरनशिप में रोड बने।
इतना ही नहीं 10 साल में बीजेपी ने हरियाणा में ना कोई बड़ी परियोजना स्थापित की, ना कोई बड़ा उद्योग लगाया, ना कोई पावर प्लांट, ना कोई आईएमटी, ना कोई नया शहर, ना बड़ी यूनिवर्सिटी, ना कोई कंप्लीट मेडिकल कॉलेज, ना नई पीजीआई, ना मेडिकल यूनिवर्सिटी बनाई। बीजेपी ने ना कोई किसान कर्जमाफी की, ना बिजली बिल माफ किए। ना बीजेपी सरकार में एक इंच मेट्रो आगे बढ़ी, ना रेपिड मेट्रो, ना कोई नई रेलवे लाइन आई। बावजूद इसके हरियाणा पर आज सरकार की सारी देनदारियां मिलाकर 5 लाख करोड़ से ज्यादा कर्जा हो गया है। आज हरेक हरियाणवी की जुबान पर यह सवाल है कि बिना कोई विकास कार्य किए आखिर इतना पैसा कहां गया?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में आंकड़ों के साथ कांग्रेस कार्यकाल और भाजपा कार्यकाल की तुलना करी। उन्होंने कहा कि बीजेपी अर्थव्यवस्था के किसी भी मानक पर कांग्रेस के मुकाबले कहीं भी नहीं ठहरती। क्योंकि 2005 में जब कांग्रेस सरकार बनी तो प्रदेश की जीडीपी 1,08,885 करोड रुपए की थी जिसे 2014-15 तक कांग्रेस ने बढ़ाकर 4,85,184 करोड़ किया यानी साढ़े चार गुना की बढ़ोतरी हुई। जबकि भाजपा सरकार के दौरान जीएसडीपी बढ़कर 12,13,951 करोड़ हुई यानी इसमें मात्र ढाई गुना की बढ़ोतरी हुई। कर्ज की बात की जाए तो कांग्रेस सरकार के दौरान इसमें मात्र 2.7 गुना की बढ़ोतरी हुई जबकि बीजेपी सरकार के दौरान यह साढ़े चार गुना बढ़ा।
इसी तरह 2005-06 से लेकर 2014-15 तक हरियाणा की सकल घरेलू उत्पाद में 17.6% सालाना की बढ़ोतरी हुई। जबकि 2014-15 से लेकर 2024-25 के बीच में मात्र 10.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अगर कर्ज की बात की जाए तो 2005-06 से 2014-15 के बीच में 13.01% सालाना की बढ़ोतरी हुई। जबकि 2014-15 से 2024-25 के बीच में 18.01% की बढ़ोतरी हुई। जीएसडीपी और कर्ज के अनुपात को देखा जाए तो 2005-06 में यह 24.1% था, जिसे कांग्रेस सरकार ने घटकर 2014-15 तक 14.6% किया। लेकिन इसे भाजपा ने वापस 2025-26 तक बढ़कर 26.3 प्रतिशत कर दिया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विधानसभा में सरसों खरीद की रसीद दिखाते हुए कहा कि सरकार द्वारा 24 फसलों पर एमएसपी देने का दावा पूरी तरह झूठ है। क्योंकि रसीद से स्पष्ट है कि सरकार किसानों को सरसों का एमएसपी नहीं दे रही है। सरसों की एमएसपी 5960 है, लेकिन मंडी में खरीद 5400 में की जा रही है यानी किसानों को ₹500 प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। पिछली बार धान की खरीद भी एमएसपी से कम रेट पर की गई और इस बार सरसों की खरीद में भी किसानों को लूटने का खेल शुरू हो गया है।
हुड्डा ने बताया कि सरकार द्वारा पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़े भी सरकार के दावों की पोल खोल रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजेपी सरकार ने पिछले सीजन के दौरान मात्र 61% सरसों, 55% गेहूं, 25% मूंग, 18% जो, 9% कपास, 5% सूरजमुखी, सिर्फ 29 व 23% बाजार और मक्की की एमएसपी पर खरीद की है।
अर्थव्यवस्था और कर्ज से लेकर फसल खरीद तक के तमाम आंकड़े चीख-चीखकर इस सरकार के दावों की पोल खोल रहे हैं। लेकिन सरकार मात्र जुबानी जमा-खर्च को ही विकास मानकर चल रही है।
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