हरियाणा में स्थित स्कूल-कॉलेज के ग्राउंडों में चुनावी जनसभाएं करने पर हाईकोर्ट कर प्रतिबन्ध, आदेश सार्वजनिक करने की अपील
पांच वर्ष पूर्व 2019 में भारतीय चुनाव आयोग आर.टी.आई. में इस बारे में जानकारी देने में रहा था असमर्थ
चंडीगढ़, 22 सितम्बर 2024। - - 15वीं हरियाणा विधानसभा आम चुनाव के लिए वर्तमान में चल रही प्रचार-प्रसार अवधि दौरान राजनीतिक दलों और चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों द्वारा प्रदेश में स्थित स्कूल-कॉलेज के ग्राउंडों में जनसभाएं करने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एक निर्णय के दृष्टिगत बैन (प्रतिबन्ध) है जिसके सम्बन्ध में गत शनिवार 21 सितम्बर हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ( सीईओ) पंकज अग्रवाल द्वारा एक बयान भी जारी किया गया.
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने सीईओ, हरियाणा और भारतीय चुनाव आयोग को लिखकर हाई कोर्ट द्वारा दिए गये उक्त निर्णय या आदेश को सार्वजनिक करने की अपील की है.
हेमंत का कहना है कि हालांकि देश के सभी राज्यों में स्थित स्कूलों और कॉलेजों के ग्राउंड (खेल-मैदानों ) का भारतीय चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की अनुपालना करते हुए चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों एवं उनके प्रत्याशियों द्वारा चुनावी प्रचार अर्थात रैलियां, सभाएं आदि आयोजित करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है परन्तु पंजाब एवं हरियाणा दोनों राज्यों में ऐसा करने पर प्रतिबंध है. इसका कारण है पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा इस बारे में लगाया गया प्रतिबन्ध. इसी आशय में चुनाव आयोग ने मार्च, 2009 में देश के सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों को एक पत्र भी जारी किया था.
हेमंत ने उक्त हाई कोर्ट द्वारा जारी किये गए उपरोक्त प्रतिबन्ध आदेश की प्रति ढूंढ़ने का ऑनलाइन और ऑफलाइन भरसक प्रयत्न किया परन्तु जब उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई चूँकि चुनाव आयोग ने न तो हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश /फैसले का केस नंबर और वर्ष और न ही केस की पार्टियों का नाम और यहाँ तक की इस आदेश की तिथि का उल्लेख भी नहीं किया है. इसी कारण उन्होंने मई, 2019 में भारतीय चुनाव आयोग में आर.टी.आई. याचिका दायर की जिस पर आयोग ने 31 मई 2019 को दिए गए जवाब में लिखा कि इस बारे में हाई कोर्ट द्वारा दिया गया प्रतिबन्ध का आदेश चुनाव आयोग की सम्बंधित शाखा में नहीं ढूँढा जा सका. यहाँ तक कि आयोग द्वारा जवाब में लिखा गया कि आवेदक इस सम्बन्ध में उक्त केस का रिट याचिका नंबर और केस के अन्य विवरण आयोग के साथ साझा करें ताकि उनके द्वारा इस सम्बन्ध में मांगी सूचना उन्हें उपलब्ध करवाई जा सके अगर ऐसी कोई सूचना आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड में उपलब्ध है.
हेमंत का कहना है कि न केवल एक एडवोकेट होने के नाते बल्कि हरियाणा प्रदेश का एक निवासी और रजिस्टर्ड मतदाता होने के नाते वह हाई कोर्ट के उक्त आदेश की प्रति हासिल कर उसे पढ़ कर यह जानना चाहते हैं की क्या हाई कोर्ट का आदेश कुछ निश्चित समय या किसी विशेष चुनाव के लिए था या अनिश्चित काल के लिए और अगर ऐसा है, तो हाई कोर्ट ने ऐसा आदेश किस आधार पर दिया था जबकि बाकी देश के राज्यों में स्थित में इस प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं है।
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