ओपीएस बहाली की मांग को लेकर कर्मचारी बुधवार को करेंगे राष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन : सुभाष लांबा
सीएम का कर्मियों को देख लेने व आठ के बाद चुड़ी टाइट करने का बयान दुर्भाग्यपूर्ण एवं निंदनीय
चंडीगढ़,24 सितंबर।
ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन और स्कूल टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के आह्वान पर कर्मचारी पीएफआरडीए एक्ट, एनपीएस व यूपीएस को रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली सहित दस सुत्रीय मांगों को लेकर बुधवार को विरोध प्रदर्शन करेंगे। यह जानकारी देते हुए ऑफ इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के अध्यक्ष सुभाष लांबा व एसटीएफआई के महासचिव सीएन भारती ने बताया कि सरकार ने पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की बजाय कर्मचारियों पर यूपीएस थौप दीं गई। जिसको कर्मचारियों ने सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के राष्ट्रव्यापी विरोध को देखते हुए सरकार को यूपीएस के निर्णय को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ेगा। उन्होंने मुख्यमंत्री के कर्मचारियों को देख लेनें और आठ अक्टूबर के बाद चुड़ी टाइट करने वाले बयान दुर्भाग्यपूर्ण एवं घोर निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि समय बताएगा कि चुनाव में कौन किस्को देखेगा और आठ के बाद धमकी देने वाले का क्या हश्र होगा।
कर्मचारियों की मांगे निम्न हैं
1) PFRDA अधिनियम को निरस्त करना; एनपीएस और यूपीएस को रद्द करें और ओपीएस को बहाल करें। फंड मैनेजरों को राज्य सरकार को जमा की गई राशि को वापस करने के लिए निर्देशित करें;ईपीएस -95 के सभी पेंशनर्स को ओपीएस के दायरे में लाया जाए।
2 ) सभी आउटसोर्स ठेका कर्मचारियों को नियमित किया जाए और ठेका / आउटसोर्स / दैनिक वेतनभोगी आधार पर की जाने वाली भर्ती बंद की जाए। सभी रिक्त पदों को पक्की भर्ती से भरा जाए।
3) पीएसयू के निजीकरण / निगमीकरण को रोकें और सरकारी विभागों के डाउन साइज़िंग पर रोक लगाई जाए।
4) दस की बजाय पांच साल में पे रिवीजन सुनिश्चित किया जाए;व और कोविड 19 में फ्रीज किए गए 18 महीने के डीए डीआर को रिलीज किया जाए।
5) कर्मचारियों ,पेंशन भोगियों और ठेका कर्मचारियों सहित सभी को कैशलेस उपचार सुनिश्चित करने के लिए सरकार के समर्थन के साथ एक व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू किया जाए।
6) नेशनल एजुकेशन पॉलिसी को वापस लिया जाए।
7) संविधान के अनुच्छेद 310, 311 (2) ए, बी और सी को निरस्त किया जाए और नए तीन आपराधिक कानूनों को निरस्त किया
8) संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता को बनाए रखना सुनिश्चित किया जाए और सभी प्रकार के सांप्रदायिकता को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाए।
9) केंद्र एवं राज्य संबंध को फिर से परिभाषित किया जाए और सह-ऑपरेटिव संघवाद की रक्षा की जाए।
10) आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दस लाख किया जाए।
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