हरियाणा: महिला सशक्तिकरण के दावे हवा-हवाई, घूंघट में घुटी रही आधी आबादी
प्रदेश की सियासत में महिलाओं का योगदान नाम-मात्र
महिला सशक्तिकरण के दावे और वास्तविकता में बड़ा अंतर
महिलाओं का राजनीति में योगदान महत्वपूर्ण होते हुए भी सीमित
पंचायती राज संस्थाओं में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू
रमेश गोयत
चंडीगढ़ 27 सितम्बर 2024। हरियाणा की राजनीति में 1966 से लेकर अब तक महिलाओं का योगदान धीरे-धीरे बढ़ा है, लेकिन अभी भी महिलाओं को प्रमुख नेतृत्वकारी भूमिकाओं में आगे आने के लिए लंबा सफर तय करना बाकी है। राजनीति में महिलाओं को राजनीति में आरक्षण को लेकर देशभर में सियासत गर्म है। आधी आबादी अपना हिस्सा लेने पर आमादा है। अगर प्रदेश की राजनीति पर नजर दौड़ाए तो राज्य गठन से अब तक यहां की सियात में महिलाओं की हाजिरी नाममात्र की रही है।
प्रदेश की सियासत में महिलाओं का योगदान थोड़ा सा रहा, पहली विधानसभा में महज 81 में महज पांच महिला ही चुनीं जा सकी। 2019 आते-आते यह संख्या 9 तक ही पहुंची। 1966 में हरियाणा के गठन से लेकर अब तक महिलाओं का राजनीति में योगदान महत्वपूर्ण होते हुए भी सीमित रहा है। हरियाणा में महिला सशक्तिकरण के दावे और वास्तविकता के बीच एक बड़ा अंतर नजर आता है। हाल के वर्षों में महिलाओं की भागीदारी में कुछ बढ़ोतरी हुई है, लेकिन शीर्ष स्तर की राजनीति में उनकी भूमिका अभी भी पुरुषों के मुकाबले कम है। हरियाणा में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज और स्थानीय निकायों में आरक्षण ने एक सकारात्मक प्रभाव डाला है, लेकिन राज्य और राष्टÑीय स्तर पर अधिक महिला नेताओं के उभरने की आवश्यकता है। 1990 के दशक में पंचायती राज संस्थाओं में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू किया गया, जिसने स्थानीय स्तर पर महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ावा दिया। इससे कई महिलाएं सरपंच और पंचायत सदस्य के रूप में उभरकर आईं, हालांकि अभी भी सत्ता की वास्तविक शक्ति पुरुषों के हाथों में ही रही है। इस आरक्षण ने महिलाओं को राज्य की राजनीति में प्रवेश के लिए एक मंच प्रदान किया, लेकिन राज्य स्तर की राजनीति में उनका योगदान सीमित रहा है। ऐसी महिला नेत्रियों के नाम उंगलियों पर गिने जा सकते हैं जो अपने दम पर प्रदेश की सियासत में रंग जमा पाईं। अब तक चुनाव लड़ी और विधानसभा पहुंची अधिकतर महिलाओं के या तो पति राजनीति में थे या फिर उन्होंने पिता दादा की विरासत को संभाला। प्रदेश की पहली विधानसभा में 81 में से महज 5 महिलाएं थी। 1977 में यह आंकड़ा चार तक ही सिमट गया। 1996 और 2000 में यह आंकड़ा पांच तक ही सिमटा रहा। 2005 में सबसे ज्यादा 13 महिलाएं विधानसभा पहुंची, जो अब तक का सबसे ज्यादा है। 2009 में फिर इनकी संख्या केवल दस ही रही। सरकार जब तक लोकसभा व विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं करेगी, तब तक महिलाओं की भागीदारी राजनीति में नहीं हो पाएगी। सरकार ने बीस साल पहले पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय निकायों में तो महिलाओं के लिए आरक्षण तय कर दिया।
बाक्स
1966 से लेकर 2024 तक हरियाणा की महिला विधायक
1966 शन्नो देवी-जगाधरी, प्रसन्नी देवी-राजौंद, राजकुमारी सुमित्रा देवी-रेवाड़ी, चंद्रावती दादरी, ओमप्रभा जैन-कैथल।
1967 ओमप्रभा जैन-कैथल, प्रसन्नी देवी-इंद्री, लेखवती जैन-नग्गल, स्रेहलता, सुमित्रा देवी-रेवाड़ी।
1968 ओमप्रभा जैन-कैथल, चंद्रावती-दादरी, प्रसन्नी देवी-इंद्री, लेखावती जैन-अंबाला, शकुंतला भगवाड़िया-साल्हावास, शारदा रानी-बल्लभगढ़, सुमित्रा देवी- रेवाडी।
1972 चंद्रावती-लौहारू, लज्जारानी-बाढड़ा, लेखावती जैन-अंबाला, प्रसन्नी देवी-इंद्री, शारदा रानी- बल्लभगढ़।
1977 कमला देवी यमुनानगर, सुषमा स्वराज अंबाला छावनी, कैलाना शांति देवी, शुकंतला बावल से विधायक बनीं।
1982 शांति देवी करनाल, प्रसन्नी देवी नौल्था, बंती देवी हसनगढ़, करतार देवी कलानौर, शारदा रानी बल्लभगढ़, चंद्रावती बाढ़ड़ा, शुकंतला बावल से विधायक बनीं।
1987 जस्मा देवी-आदमपुर, कमला वर्मा-यमुनानगर, सुषमा स्वराज-अंबाला कैंट, माधवी कीर्ती- झज्जर, विद्या बेनीवाल-दडवाकलां।
1991 चंद्रावती-लोहारू, जानकी देवी मान-इंद्री, करतार देवी-कलानौर, संतोष चौहान-सिरसा, शकुंतला भगवाड़िया-बावल, शाति राठी-कैलाना।
1996 कमला वर्मा-यमुनानगर, कांता देवी-झज्जर, करतार देवी-कलानौर, कृष्णा गहलावत-रोहट, विद्या बैनीवाल-दाबड़कलां।
2000 अनिता यादवा साल्हावास, सरिता नारायण कलानौर, स्वतंत्र बाला चौधरी फतेहाबाद, वीना छिब्बर अंबाला, विद्या बैनीवाल दाबडकलां।
2005-अनिता यादव-साल्हावास, गीता भुक्कल- कलायत, करतार देवी-कलानौर, कृष्णा पंडित-
यमुनानगर, मीना मंडल-जुंडला, प्रसन्नी देवी-नौलथा, राजरानी पूनम-असंध, रेखा राणा-घरौंडा, शकुंतला भगवाड़िया-बावल,शारदा राठौड़-बल्लभगढ़, सुमिता सिंह-करनाल, किरण चौधरी तोशाम, सावित्री जिंदल-हिसार।
2009- किरण चौधरी-तोशाम, सावित्री जिंदल-हिसार, गीता भुक्कल-झज्जर, सुमिता सिंह-करनाल, शारदा राठौर-वल्लभगढ़, शकुंतला खटक-कलानौर, सरोज मोर-नारनौंद, कविता जैन- सोनीपत, अनिता यादव-अटेली।
2014- लतिका शर्मा कालका, संतोष चौहान सारवान मुलाना (एससी), कविता जैन सोनीपत, प्रेम लता उचाना, रेणुका बिश्नोई हांसी, किरण चौधरी तौशाम, शंकुतला खटक कलानौर (एसएसी), गीता भुक्कल झज्जर (एसएसी), संतोष यादव अटेली, बिमला चौधरी (एसएसी), सीमा त्रिखा बड़खल।
2019- शैली नरायणगढ़, रेणु बाला साढोरा (एसएसी), कमलेश ढांडा कलायत, निर्मल रानी गनौर, नैना सिंह चौटाला बाढडा, किरण चौधरी तौशाम, शंकुतला खटक कलानौर (एसएसी), गीता भुक्कल झज्जर (एसएसी), सीमा त्रिखा बड़खल।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →