हरियाणा के नारनौंद हलके में भाजपा नेता कैप्टन अभिमन्यु का अंदरूनी विरोध
किसान आंदोलन और भाजपा के नेताओं के प्रति जनता का आक्रोश
हिसार/चंडीगढ़, 12 सितंबर 2024--हरियाणा के नारनौंद हलके में भाजपा नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का इस बार अंदरूनी विरोध तेज हो रहा है। किसान आंदोलन और भाजपा के नेताओं के प्रति जनता के आक्रोश के कारण कैप्टन अभिमन्यु को गांव-गांव में समर्थन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर भाजपा समर्थक ही खुलकर उनके पक्ष में नहीं आ रहे। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्हें कई गांवों में विरोध का सामना करना पड़ा था, और इस बार उन्होंने उन गांवों में अभी तक कोई प्रचार कार्यक्रम नहीं रखा है, जहां पहले उनका विरोध हुआ था।
हालांकि, पार्टी ने उन्हें इस बार फिर से टिकट दिया है, लेकिन आरएसएस के सर्वे में यह बात सामने आई है कि नारनौंद सीट पर उनकी जीत मुश्किल हो सकती है। इसका मुख्य कारण उनका जमीनी स्तर पर राजनीति से ज्यादा जुड़ाव न होना बताया जा रहा है। किसान आंदोलन की वजह से ग्रामीण इलाकों में भाजपा के प्रति लोगों में गुस्सा है, खासकर हिसार जिले के मसूदपुर, डाटा, गुराना और खानपुर जैसे गांवों के लोग किसान आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे।
लोकसभा चुनाव के दौरान इन गांवों में जब कैप्टन अभिमन्यु वोट मांगने गए थे, तो उन्हें न केवल विरोध का सामना करना पड़ा, बल्कि कई जगह ग्रामीणों ने उनकी गाड़ी घेरकर नारेबाजी भी की थी। ग्रामीणों का आरोप था कि किसान आंदोलन के समय, जब किसानों पर अत्याचार हो रहे थे, तब कैप्टन अभिमन्यु ने उनका समर्थन नहीं किया। इस बार भी नारनौंद क्षेत्र के कई गांवों में लोकसभा चुनाव जैसा ही माहौल है, जिससे उनके चुनावी अभियान को झटका लग सकता है। नारनौंद इलाके में कैप्टन अभिमन्यु की गैरमौजूदगी और उनके जनता से दूर रहने का असर भाजपा पर पड़ रहा है। कैप्टन के वीआईपी नेता वाली छवि और उनके क्षेत्र से जुड़े मामलों में सीधे शामिल न होने की शिकायतें बढ़ी हैं। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि 2014 से 2019 तक कैबिनेट मंत्री रहते हुए भी जब वे अपनी समस्याएं लेकर कैप्टन से मिलने जाते थे, तो वे उनसे मिलते तक नहीं थे। कैप्टन के कामकाज को उनके भतीजे द्वारा देखा जाता था, जिससे जनता में असंतोष और बढ़ गया।
कैप्टन अभिमन्यु का जमीनी कनेक्शन न होना और जनता से दूरी भाजपा के लिए भारी साबित हो रही है। 2019 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को इसका खामियाजा उठाना पड़ा।
लगातार हार का सिलसिला
2019 के विधानसभा चुनाव में कैप्टन अभिमन्यु जननायक जनता पार्टी के रामकुमार गौतम से 12,029 वोटों के अंतर से हार गए थे। उस समय कैप्टन को 60,406 वोट मिले, जबकि रामकुमार गौतम ने 73,435 वोट हासिल किए। कैबिनेट मंत्री रहते हुए भी यह हार भाजपा के लिए एक बड़ा झटका थी।
इसी तरह, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी हिसार सीट से भाजपा उम्मीदवार रणजीत चौटाला नारनौंद में कैप्टन अभिमन्यु के भरोसे लीड की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन भाजपा यहां बुरी तरह पिछड़ गई। नारनौंद हलके से कांग्रेस के जयप्रकाश जेपी को बड़ी लीड मिली, जिससे भाजपा हिसार लोकसभा सीट हार गई।
कैप्टन अभिमन्यु की जनता से दूरी और क्षेत्रीय मामलों में सक्रिय न रहने की वजह से भाजपा को आगामी चुनावों में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। कैप्टन अभिमन्यु इस बार नारनौंद से चुनाव लड़ने को लेकर सियासी मजबूरी में थे। उन्होंने इस बार बरवाला विधानसभा क्षेत्र से टिकट पाने की कोशिश की थी, लेकिन वहां का सर्वे उनके खिलाफ गया। प्राइवेट एजेंसी के सर्वे में भाजपा कार्यकर्ताओं और आम जनता ने कैप्टन को नेगेटिव फीडबैक दिया, जिससे पार्टी ने उन्हें नारनौंद से ही चुनाव लड़ने का फैसला किया।
भाजपा ने कैप्टन की जीत सुनिश्चित करने के लिए 2019 में उन्हें हराने वाले जेजेपी के रामकुमार गौतम को पार्टी में शामिल कर लिया और उन्हें जींद जिले की सफीदों सीट पर शिफ्ट कर दिया। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्र में कैप्टन अभिमन्यु के प्रति मतदाताओं की नाराजगी को दूर करना अब भी उनके लिए बड़ी चुनौती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कैप्टन इस चुनाव में कैसे अपने राजनीतिक कौशल से इस विरोध का सामना करते हैं और वोटरों का समर्थन हासिल करते हैं।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here →
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →